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पद
महल बनाया ऊँचा सा और चार तरफ़ से घेरा है
महल बनाया ऊँचा सा और चार तरफ़ से घेरा हैतकया दे मसनद पर बैठा ये जाना घर मेरा है
कवि दिलदार
कुंडलिया
गुरुदेव - दीपक बारा नाम का महल भया उजियार
दीपक बारा नाम का महल भया उजियारमहल भया उजियार नाम का तेज बिराजा
पलटू साहेब
साखी
चेतावनी का अंग - इस माटी के महल में नातर कीजै मोद
इस माटी के महल में नातर कीजै मोदराव रंक सब चलेंगे आपे कूँ ले सोध
गरीब दास
पद
जीव महल में सिव पहुनवाँ कहाँ करत उनमाद रे
जीव महल में सिव पहुनवाँ कहाँ करत उनमाद रेपहुँचा देवा करिलै सेवा रैन चली आवत रे
कबीर
पद
भ्रम का ताला लगा महल रे प्रेम की कुंजी लगाव
भ्रम का ताला लगा महल रे प्रेम की कुंजी लगावकपट-किवड़िया खोल के रे यहि बिधि पिय को जगाव
कबीर
राग आधारित पद
रागिनी सिंदूरा परज - चलौ तुमहू देखौ कैसी मची होरी गावत रंग महल में नारी
चलौ तुमहू देखौ कैसी मची होरी गावत रंग महल में नारीएक गावत एक मृदंग बजावत एक नाँचत दै-दै तारी
तानसेन
शबद
उपदेश का अंग - चलो चढ़ो मन यार महल अपने
चलो चढ़ो मन यार महल अपनेचलो चढ़ो मन यार महल अपने
दूलनदास जी
पद
दस द्वार के महल के अंदर कौन आन के खेला है
दस द्वार के महल के अंदर कौन आन के खेला हैइस दर्या बेहद के अंदर कौन आन के हेला है
कवि दिलदार
पद
जो मिट्टी का महल बना है उस का कौन ठिकाना है
जो मिट्टी का महल बना है उस का कौन ठिकाना हैजिस पिंजरे के अंदर जानो आकर पवन समाना है
कवि दिलदार
कलाम
पंजे-महल पंजाँ विच चानण डीवा कित वल धरिये हूपंजे महर पंजे पटवारी हासल कित वल भरिये हू
सुल्तान बाहू
गूजरी सूफ़ी काव्य
दुई वजूद को मौजूद होना
दुई वजूद को मौजूद होनाये तो बात मुहाल है लोकाँ