परिणाम "nigaah-e-fikr"
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फ़क़ीर क़ादरी
लालन फक़ीर
फ़क़ीर मोहम्मद जहलमी
फ़क़ीर हुसैन शाह
अयाज़ फ़क़ीर सेहरवरदी
क़ारी शरीफ फाक़िर
सख़ी फ़क़ीर राज़ी
कारे ख़ान फ़क़ीर
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
1784 - 1850
फ़क़ीर मोहम्मद गोया
मोहम्मद हुसैन फ़क़ीर
मीर शम्सुद्दीन फ़क़ीर
अकबर अली फ़क़ीर
फ़क़ीर मोहम्मद आमीर शाह क़ादरी गीलानी
मुंशी कंवल प्रसाद
फ़िक्र इस की न कर जल्वः-गाह-ए-नाज़ कहाँ हैये देख अब कोई नज़र-बाज़ कहाँ है
यारब दोई के फ़िक्र से मुझ को फ़राग़ बख़्शवहदत के मय-कदे से लबाब-ए-अयाग़ बख़्श
नख़्ल-बंद-ए-गुलशन-ए-मज़मूँ हूँ फ़ैज़-ए-फ़िक्र सेहर वरक़ दीवाँ का मेरे बाग़ है कश्मीर का
बे-फ़िक्र-ओ-ख़याल-ए-दोस्त राहत न-बुवदअंदेश:-ए-माल-ओ-जाह-ओ-दौलत न-बुवद
निगाह-ए-फ़िक्रنگاہ فکر
worried look
इस्लामी फ़िक्र-ओ-तहज़ीब का असर हिन्दुस्तान पर
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
1982शोध एवं समीक्षा
इमाम अबू हनीफ़ा हयात, फ़िक्र और ख़िदमात
मोहम्मद ताहिर मंसूरी
2004
Deewan-e-Yudil Faqeer
अननोन ऑथर
Shams Faqeer
शमसुद्दीन अहमद
1959
Faqeer Ilallah
दलीप शर्मा
2005शोध एवं समीक्षा
Rasail-e-Shah Waliullah R. A.
A Maldives Celebration
रोयसटन एलिस
1997
Maqaam-e-Mulla Faqeer R. A.
शब्बीर हसन ख़ाँ
1991सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
मैं साधू संत फ़क़ीर
अरमान वारसी
2025शाइरी
A Gazetteer of Kashmir
चार्ल्स एलिसन बैट्स
1980
शाही फ़क़ीर (सैयद शाह सर्फे-आलम नदवी)
2005जीवनी
Lucknow A Gazetteer
1904
At A Glance
शौकत अली ख़ान
1990टिप्पणी
तारीख़-ए-रसूल
ख़्वाजा हसन निज़ामी
1948
Rasail Shah Waliullah Dehalvi R. A.
शाह वलीउल्लाह मोहद्दिस देहलवी
1999
बा-फ़िक्र-ओ-ख़याल-ए-कस न-बाशद कारमदर तौर-ए-ग़ज़ल तरीक़-हाफ़िज़ दारम
कुछ फ़िक्र तुम्हें उक़्बा की नहीं 'अहक़र' ये बड़ी नादानी हैदुनिया की ख़ुशी क्या ईज़ा क्या ये हादिस है वो फ़ानी है
ग़म के बादल निगाह से टालेमय-ए-'इरफ़ाँ से भर दिए प्याले
तिरे ज़िक्र ने तिरे फ़िक्र ने तिरी याद ने वो मज़ा दियाकि जहाँ मिला कोई नक़्श-ए-पा वहीं हम ने सर को झुका दिया
मेरी निगाह से देखे तो कोई शान-ए-हुसैनबुलंद 'अर्श-ए-बरीं से है आस्तान-ए-हुसैन
शाएर-ए-फ़ितरत हूँ जब भी फ़िक्र फ़रमाता हूँ मैंरूह बन कर ज़र्रे ज़र्रे में समा जाता हूँ मैं
दर गोश:-ए-फ़िक्र सैर-ए-दुनिया कर्दमअज़ बहर-ए-ख़ुद आराम मुहय्या कर्दम
(विचार; स्थाल) ׃ईश्वर के गुणों और उसकी अनुकंपाओं पर विचार करना.
अफ़्सोस दर अंदेशः-ओ-दर फ़िक्र-ओ-ख़यालसरमाय:-ए-’उम्र शुद ब-ग़फ़्लत पामाल
(फ़क़ीरी) ׃संसार से विरक्त हो कर इश्क-ए-इलाही में तल्लीन होना.
जहाँ गर हो दुश्मन है क्या फ़िक्र-ओ-ग़मअगर ग़म-गुसारी पे ग़म-ख़्वार हो
ता फ़िक्र-ओ-ख़यालश ब-दिलम कर्द वतनसर ता ब-क़दम फ़िक्र-ओ-ख़यालम हमः-तन
गाहे इधर की फ़िक्र है गाहे उधर की हैमिट्टी ग़रज़ ख़राब जहाँ में बशर की है
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