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कलाम
स्वामी रामतीर्थ
कलाम
रात कटती है गिन-गिन के तारे नींद आती नहीं एक पल भीआँख लगती नहीं अब हमारी आँख उस बुत से ऐसी लगी है
नाज़ाँ शोलापुरी
शबद
आरती व भोग - मन बच क्रम मोरे राम कि सेवा सकल लोक देवन को देव
मन बच क्रम मोरे राम कि सेवा सकल लोक देवन को देवाबिनु जल जल भरि भरि नहवावों बिना धूप के धूप धुपावों
धरनीदास जी
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पद
प्रेमालाप के पद - नैनाँ अटके रूप सू पल-पल नहीं लागे
नैनाँ अटके रूप सू पल-पल नहीं लागेनिशिदिन चात्रक उंचहे सोए न जागे
मीराबाई
दोहा
'औघट' बाजें राम के बाजन सुन लो सीस झुकाय
'औघट' बाजें राम के बाजन सुन लो सीस झुकायआसन मारो सबद को साधू मन से ध्यान लगाय
औघट शाह वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
जो एक पल भी ठहर कर मुस्तफ़ा के दर से जाता हैतो यूँ महसूस करता है कि अपने घर से जाता है
अस'अद रब्बानी
बैत
तू अबद आफ़रीं मैं हूँ दो-चार पल
तू अबद आफ़रीं मैं हूँ दो-चार पलतू यक़ीं मैं गुमाँ मैं सुख़न तू अ’मल
मुज़फ़्फ़र वारसी
भजन
मैं रामा की मोरा राम
मैं हाज़िर हूँ मैं हाज़िर हूँनाम के झगड़े से क्या काम
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
कृष्ण भक्ति संत काव्य
इहलीला चंद रचाया पल में त्रैलोक्य नचायाउठ के प्रात जसोदा मय्या दे नवनीत पुत्रश्यामा
अमृत राय
पद
श्रीगोपाल गोविंद गदाधर पल छन रट मन मेरे
श्रीगोपाल गोविंद गदाधर पल छन रट मन मेरेस्त्री भाई पिता महतारी पूत सुता धन तेरे
दयालनाथ महाराज
पद
नाम-माहात्म्य के पद - मेरो मन राम हि राम रटे रे
जनम जनम के खत जु पुराने नामहि लेत फटै रेकनक कटोरे इमरत भरियो पीवत कौन रटे रे
मीराबाई
पद
नाम-माहात्म्य के पद - राम रतन धन पायो मैया मैं ते राम रतन धन पायो
'मीराँ प्रभू गिरिधर के सरनेँ चरण कमल चित लायो
मीराबाई
दोहा
हर कहीं और कहीं नहीं और बदले पल-पल भेस
हर कहीं और कहीं नहीं और बदले पल-पल भेसऐसे पिया हरजाई को भेजूँ कहाँ सन्देस