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दोहा
विनय मलिका - लाख चूक सुत से परै सो कछु तजि नहिं देह
लाख चूक सुत से परै सो कछु तजि नहिं देहपोष चुचुक ले गोद में दिन दिन दूनों नेह
दया बाई
पद
दिल-जमई कर क्या बैठा है सुना नहीं तूने ये सौत
दिल-जमई कर क्या बैठा है सुना नहीं तूने ये सौतआया है क़ुरआन के अंदर सब दम को है ज़ायक़-ए-मौत
कवि दिलदार
ना'त-ओ-मनक़बत
शाह अकबर दानापूरी
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पद
साधना का फल - अमी की बरखा हुई भारी भींज रही अतर सुत प्यारी
अमी की बरखा हुई भारी भींज रही अतर सुत प्यारीसजी जहँ तहँ कंवलन क्यारी शब्द गुल फूली फुलवारी
शालीग्राम
सूफ़ी शब्दावली
(ध्वनि) ׃पापों का अंधकार, जो क़ल्ब पर छा जाता है, और जिससे ईश्वरीय प्रकाश बंद हो जाता है.
क़िता'
लिल्लाह शाह-ए-उमम हो निगाह-ए-करम सुन लो मेरी सदावक़्त आख़िर है सूरत दिखा दो मुझे दीजो बिगड़ी बना
अब्र शाह वरसी
दोहा
पीतम सौत सुंदर सही पर हमें भी तुमरे आस
पीतम सौत सुंदर सही पर हमें भी तुमरे आसभूले-भटके आओ गोसाईं कभी तो हमरे पास
औघट शाह वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
मँगते हैं करम उन का सदा माँग रहे हैंदिन-रात मदीने की दु'आ माँग रहे हैं
ख़ालिद मह्मूद नक़्श्बंदी
ना'त-ओ-मनक़बत
हो गया जिस पर सदा तेरा करम या मुस्तफ़ाफिर कभी उस पर न आया कोई ग़म या मुस्तफ़ा
उवेस रज़ा अम्बर
फ़ारसी कलाम
रू-ए-हर-दिलबर तजल्ली-गाह-ए-हुस्न-ए-रू-ए-ऊ-अस्तनिकहते काँ आवरद बाद-ए-सबा आँ बू-ए-ऊस्त
अहमद शाहजहाँपुरी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
मुर्ग़-ए-दिलम तायरे-अस्त क़ुदसीय-ए-अर्श आशियाँअज़ क़फ़स-ए-तन-मलूल सैर शुदः अज़ जहाँ
हाफ़िज़
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
राज़े ज़े-अज़ल अंदर दिल-ए-उश्शाक़ निहान-अस्तज़ाँ राज़ ख़बर याफ़्त कसे रा कि अ'यान-अस्त