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जब इ’श्क़ आ’शिक़ बेबाक करे तब पावे अपने मतलब कोतन मन को मार के ख़ाक करे तब पावे अपने मतलब को
कवि दिलदार
पद
जब इश्क़ आशिक़ बेबाक करे तब पावे अपने मतलब को
जब इश्क़ आशिक़ बेबाक करे तब पावे अपने मतलब कोतन मन को मार के ख़ाक करे तब पावे अपने मतलब को
कवि दिलदार
दोहा
तन पाया तब मन मिला मन पाया तब पीउ
तन पाया तब मन मिला मन पाया तब पीउतन-मन दोनों पी के हैं पी का नाम है जीउ
मुज़्तर ख़ैराबादी
सवैया
प्रेम-वेदना - प्रेम मरोरि उठै तब ही मन पाग मरोरनि मे उरझावै
प्रेम मरोरि उठै तब ही मन पाग मरोरनि मे उरझावैरूसे से ह्वै दृग मोसो रहै लखि मोहन मूरति मो पै न आवै
रसखान
साखी
लव का अंग - लब लागी तब जानिये छूटि कभूँ नहिं जाय
लब लागी तब जानिये छूटि कभूँ नहिं जायजीवत लव लागी रहै मूए तहँहि समाय
कबीर
दोहा
तोहिं तोहिं तब कहै हौंहीं हौंहीं जाय
तोहिं तोहिं तब कहै हौंहीं हौंहीं जायजल गंगा में मिल गयो सिर की गई बलाय