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ग़ज़ल
ज़हे क़िस्मत पसंद-ए-ख़ातिर-ए-मुश्किल पसंद आयाअज़ल से छाँट कर लाए थे हम जो दिल पसंद आया
अशफ़ाक़ हुसैन मारहरवी
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फ़ारसी कलाम
ज़हे इ’ज़्ज़-ओ-जलाल-ए-बू-तुराबी फ़ख़्र-ए-इंसानी’अली-ए-मुर्तज़ा मुश्किल-कुशा-ए-शेर-ए-यज़ादनी
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
फ़ारसी कलाम
ज़हे 'इज़्ज़-ओ-'अला-ए-मुंतहा-ए-औज-ए-इंसानेनबी-ए-यसरिबी-ए-महबत-ए-तंज़ील-ए-फ़ुर्क़ाने
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
दोहरा
सुन इश्क़ा जेही तुध ने कीती
सुन इश्क़ा जेही तुध ने कीती तूँ रोज़ सतावें मैनूँइक वारी नित आवें मेरे मैं ख़ूब रुलावाँ तैनूँ
हाशिम शाह
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ज़हे नफ़्स-ए-नबी चूँ गौहर-ए-जाँ पाक दामानेज़मीं रा बू-तुराब-ओ-अ’र्श रा ख़ुर्शीद-ए-ताबाने
शाह अकबर दानापूरी
सोरठा
अखरावती - सतगुरु खोजो संत जीव काज जेहि होय जो
सतगुरु खोजो संत जीव काज जेहि होय जोमेटैं भव का अंत आवागवन निवारहीं
कबीर
राग आधारित पद
राग मलार- ऐसे जन धनि जननी जिहि जाये
ऐसे जन धनि जननी जिहि जायेदूसर कुल में भक्ति नहीं थी
सहजो बाई
रूबाई
चूँ रिज़्क़-ए-तु आँ चे अद्ल क़िस्मत फ़र्मूदयक ज़र्रः न कम शुद व न ख़्वाहद अफ़्ज़ूद
अ’ली इमाम ख़ान
शे'र
क़िस्मत जागे तो हम सोएँ क़िस्मत सोए तो हम जागेंदोनों ही को नींद आए जिसमें कब ऐसी रातें होती हैं
आरज़ू लखनवी
ना'त-ओ-मनक़बत
मेरी क़िस्मत मेरी तक़दीर बनाने वालेमेरी हस्ती के हर इक पल को सजाने वाले