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फ़ारसी कलाम
क़द-ए-रा'ना रुख़-ए-ज़ेबा लब-ए-शीरीं दारीक़स्द-ए-ग़ारत-गरी-ए-अक़्ल-ओ-दिल-ओ-दीं दारी
हुसैन बिन मंसूर हल्लाज
फ़ारसी कलाम
बमिरआत-ए-जहाँ ब-नमूद जानाँ रू-ए-ज़ेबा राब-रंग-ए-दीगर-ओ-शान-ए-दिगर हर पीर-ओ-बुर्ना रा
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
ना'त-ओ-मनक़बत
कौन सा खोलूँ वरक़ मौला तिरी ज़ेबाई कातेरी ख़ल्लाक़ी का एहसाँ का पज़ीराई का
आरिफ़ हसन सिद्दीक़ी
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गीत
सगरी 'उम्र मोरी मैका में अइल भइ का लै के जैबा गवनवा हाए रामना मो में गिन ढंग ना मो पे जुनबा
अज्ञात
दोहा
विनय मलिका - नर देही दीन्हीं जबै कीन्हो कोटि करार
नर देही दीन्हीं जबै कीन्हो कोटि करारभक्ति कबूली आदि में जब में भयो लबार
दया बाई
फ़ारसी कलाम
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
शे'र
हुआ आईना से इज़हार उन का रू-ए-ज़ेबा हैबना मुम्किन है वाजिब से जो शनवा है वो गोया है
हकीम मीर यासीन अली
फ़ारसी कलाम
ख़त-ए-सब्ज़-ओ-लब-ए-ला'ल-ओ-रुख़-ए-ज़ेबा दारीहुस्न-ए-यूसुफ़ दम-ए-ई'सा यद-ए-बैज़ा दारी
अमीर ख़ुसरौ
ग़ज़ल
हर चीज़ में 'अक्स-ए-रुख़-ए-ज़ेबा नज़र आया'आलम मुझे सब जल्वा ही जल्वा नज़र आया
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
सलोक
फ़रीदा है जिया खड़सी जबि ते कसीसी सुवुन्न ज्युं
फ़रीदा है जिया खड़सी जबि ते कसीसी सुवुन्न ज्युंक्या दवसी तर जगु रैही कूड़ा थिया