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सूफ़ी लेख
जायसी और प्रेमतत्व पंडित परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल्.-एल्. बी.
आपुहि गुरु सौ आपहि चला। आपुहि सब औ आपु अकेला।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(131) नारी काट के नर किया सब से रहे अकेला।चलो सखी वां चल के देखें, नार नारी का मेला।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(131) नारी काट के नर किया सब से रहे अकेला। चलो सखी वां चल के देखें, नार नारी का मेला।।
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शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
हम यह नहीं चाहते कि तू अकेला रहे और इसलिये हम भी अब ईसाई हो जायेंगे।या चू न-तवानेम दीदत हम चुनीन।
सुमन मिश्रा
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Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
(मैं रूम से शाम तक सफ़र करता रहा मगर मेरे दिल को एक लम्हा आराम मयस्सर
सुमन मिश्रा
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अल्बेरूनी -प्रोफ़ेसर मुहम्मद हबीब
अल्बेरूनी के कहने का अबू सह्ल पर यह असर हुआ कि उस ने अपने यहाँ का
हिंदुस्तानी पत्रिका
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Krishna as a symbol in Sufism
(मूल फ़ारसी) गर दर कलिमाते हिन्दवी ज़िक्रे किशन या आन् चे असामी ए ऊस्त वाक़ेअ शवद