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सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
अरे इस आँगन में वो तो उस आँगन मेंअरे वो तो जहाँ देखो मोरे संग है री
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
अरे मन मुझे बोल तेरा ठिकानाकहाँ सूं हुआ है यहाँ तेरा आना
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
अरे मन मुझे बोल तेरा ठिकानाकहाँ सूं हुआ है यहाँ तेरा आना
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
लाज जजीरन जरे अरे इभ-से मतवारे। दुगा उगा ठाहत भुगा भूके भट भारे।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
48 दुनियाँ डूबी काली धार 5 सारंग49 अरे नर झूठो जगत कौ नेह 5 पूरबी
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
सूनी लागे रे हमरी नगरिया हो राम, अरे सूनी लागे !पिया ‘बेदम’ सौतिन बस गयी भई लीं फुलवन महके रे
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
मसनवी की कहानियाँ -1
देर हो जाने से शेर ग़ुर्रा ग़ुर्रा कर ज़मीन को नोच डाल रहा था और कहता
ज़माना
सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
इस दौरान अपने पीर-ओ-मुर्शिद से बहुत दूर हो गए। जब ज़िंदगी ढलने लगी तो आवाज़ भी
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
बिहार में क़व्वालों का इतिहास
(यादगार-ए-रोज़गार, स० 862)इस दौरान वो अपने पीर-ओ-मुर्शिद से दूर हो गए। जब उनकी ज़िंदगी ढलने लगी,
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
सतगुरू नानक साहिब
अगर तुम दिली रग़बत और मोहब्बत से तालिब हो कर कलाम-ए-हक़ सुनोगे और नेक-आ’माल में मसरूफ़
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
सन्तों की प्रेम-साधना- डा. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम. ए., एल-एल. बी., पीएच. डी.
आमरे बीजे सच्चा आमि जय गुरु जय जयगो। अर्थात् जिसे जो मन आए कहे। मैं तो अपने
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
पहला अर्थ (नागमती के पक्ष में)(1) अब मेरे शरीर में विरह की जेठ-असाढ़ी तपने लगी है।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर के भ्रमर-गीत की दार्शनिक पृष्ठभूमि, डॉक्टर आदर्श सक्सेना
सेवक सूर लिखन कौ आँधौ, पलक कपाट अरे।।पता नहीं मथुरा में स्याही चुक गई या कागज
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
हकीम शाह अलीमुद्दीन बल्ख़ी फ़िरदौसी
राक़िमुस्सुतूर आपसे मुलाक़ात करने जाता रहता था।जब किसी ख़ास मौज़ूअ पर गुफ़्तुगू होती तो कहते कि
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
जायसी का जीवन-वृत्त- श्री चंद्रबली पांडेय एम. ए., काशी
बाल-बच्चे तथा आपजायसी केवल विवाहित ही नहीं थे, उनके बाल-बच्चे भी थे। कहा जाता है कि
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मौलाना जलालुद्दीन रूमी
सौदागर ने वा’दा किया कि उस का पयाम-ओ-सलाम उस की क़ौम तक पहुंचा देगा। जब हिन्दोस्तान
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
थाली फेंको तो सरों पर जाये। मग़रिब के बा’द ही झरना से नफ़ीरी की आवाज़ आई।
मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग
सूफ़ी लेख
भ्रमर-गीतः गाँव बनाम नगर, डॉक्टर युगेश्वर
नागर सिंधु सभ्यता के बावजूद भारतीय नगरी नहीं ग्रामीण है। पूरा भारतीय साहित्य गाँव उन्मुख हैं।