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सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
दिल जो दीवाना था अपना फिर सियाना हो गयाअहल-ए-दिल जितने हैं उनका फ़ैज़ जारी है मुदाम
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
2۔ फ़ुग़ाँ न शेव:-ए-अहल-ए-दिल अस्त ऐ बुल्बुलव-गर्ना मन ज़े-तू अफ़्ज़ूँ ख़रोश मी-कर्दम
ज़माना
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तज़्किरा-ए-फ़ख़्र-ए-जहाँ देहलवी
मुसन्निफ़ के साथ ही दो और शख़्सियतें भी हमारी ता’रीफ़-ओ-तहसीन और एहसानमंदी का हक़ रखती हैं।
निसार अहमद फ़ारूक़ी
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हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत शाह नियाज़ बरेलवी की शाइरी में इरफान-ए-हक़
(उर्दू अदब की तारीख़ स० 43-44 नाशिरः तख़्लीक़-कार पब्लिशर, दिल्ली)दिल्ली के दौर-ए-सानी के शोरा में मीर
अहमद फ़ाख़िर
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क़व्वाली का ‘अह्द-ए-ईजाद और मक़्सद-ए-ईजाद
क़व्वाली की ईजाद अमीर ख़ुसरो के ‘अह्द-ए-हयात 1253 ता 1325 के ठीक दरमियान का ‘अह्द है,
अकमल हैदराबादी
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महफ़िल-ए-समाअ’ और सिलसिला-ए-वारसिया
अ’रबी ज़बान का एक लफ़्ज़ ‘क़ौल’ है जिसके मा’नी हैं बयान, गुफ़्तुगू और बात कहना वग़ैरा।आ’म
डॉ. कबीर वारसी
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क़व्वाली का अहद-ए-ईजाद और समाजी पस-ए-मंज़र
मूजिद-ए-क़व्वाली हज़रत अमीर ख़ुसरो का ‘अह्द इब्तिदा-ए-इस्लाम और मौजूदा ‘अह्द के ठीक दरमियान का ‘अह्द है
अकमल हैदराबादी
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सूफ़िया-ए-किराम और ख़िदमात-ए-उर्दू - सय्यद मुहीउद्दीन नदवी
आज दुनिया बजा तौर पर उन मुबारक हस्तीयों पा नाज़ कर सकती है जिन्हों ने इ’मादुद्दीन
सूफ़ीनामा आर्काइव
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बक़ा-ए-इंसानियत के सिलसिला में सूफ़िया का तरीक़ा-ए-कार- मौलाना जलालुद्दीन अ’ब्दुल मतीन फ़िरंगी महल्ली
बात की इब्तिदा तो अल्लाह या ईश्वर के नाम ही से है जो निहायत मेहरबान और