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सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
फ़स्ल-ए-गुल आई है साक़ी ला कटोरा फूल काबाग़ में आग़ाज़ बुलबुल का तराना हो गया
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
इसमें क़रीब 362 अश्आ’र हैं।मस्नवी का आग़ाज़ इन अश्आ’र से किया गया हैः-मर्हबा ऐ बुलबुल-ए-बाग़-ए-कुहन
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी - प्रोफ़ेसर इफ़्तिख़ार अहमद चिश्ती सुलैमानी
आपने पाँच या छः बरस की उ’म्र में अपनी ता’लीम का आग़ाज़ क़ुरआन-ए-पाक से किया।हाफ़िज़ मोहम्मद
मुनादी
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तारीख़-ए-वफ़ात निज़ामी गंजवी
और जैसा कि ऊपर बयान हो चुका है, कि मस्नवी शीरीं ख़ुसरो की तस्नीफ़ के वक़्त
क़ाज़ी अहमद अख़्तर जूनागढ़ी
सूफ़ी लेख
फ़िरदौसी - सय्यद रज़ा क़ासिमी हुसैनाबादी
फ़िरदौसी की ज़बान से ये हाल सुनकर तीनों शो’रा बेहद ख़ुश हुए और उन्होंने उसको अपना
ज़माना
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अस्मारुल-असरार - डॉक्टर तनवीर अहमद अ’ल्वी
समर –ए-सेउम में हज़रत अ’ली का ये क़ौल दुहराया गया है। इ’ल्म नुक़्ता है और उसकी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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तज़्किरा-ए-फ़ख़्र-ए-जहाँ देहलवी
ये हज़रत फ़ख़्र-ए-जहां की बदौलत हुआ कि चिश्ती ख़ानक़ाहों में नई रौनक़ पैदा हो गई।हज़रत फ़ख़्र-ए-जहां
निसार अहमद फ़ारूक़ी
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सय्यिद सालार मस्ऊद ग़ाज़ी
शैख़ इसमाई’ल लाहौरी जो 1005 में लाहौर आए थे,उस ज़माने की मश्हूर शख़्सियत हैं लेकिन बा’द
जुनैद अहमद नूर
सूफ़ी लेख
सय्यद शाह शैख़ अ’ली साँगड़े सुल्तान-ओ-मुश्किल-आसाँ - मोहम्मद अहमद मुहीउद्दीन सई’द सरवरी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह ग़फ़ूरुर्रहमान हम्द काकवी
कमालाबाद उ’र्फ़ काको की क़दामत के तो सब क़ाएल हैं।आज से 700 बरस क़ब्ल मुस्लिम आबादी
रय्यान अबुलउलाई
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हज़रत सय्यिद मेहर अ’ली शाह - डॉक्टर सय्यिद नसीम बुख़ारी
सय्यिद मेहर अ’ली शाह ने चार साल की उ’म्र में इब्तिदाई ता’लीम का आग़ाज़ किया। आपको
मुनादी
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सूफ़ी क़व्वाली में गागर
(कलाम-ए-पीर शाह नई’म अ’ता सिल्वनी)गागर के अश्आ’र में हम्द, ना’त, मंक़बत, दुआ’ तलब और तसव्वुफ़ के