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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-आम(38) आवे तो अंधेरी लावे। जावे तो सब सुख लेजावे।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-आम (38) आवे तो अंधेरी लावे। जावे तो सब सुख लेजावे।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
चाश्नी-ओ-आब कमानश ब-बीं।।आम को इंजीर पर तर्जीह देते हैं।
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
सन्तों की प्रेम-साधना- डा. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम. ए., एल-एल. बी., पीएच. डी.
आपना पथेर पथिक आमि कारबा करि भयगो। आमरे बीजे हयइगो आम जामेर बीजे हयगो जाम।
सम्मेलन पत्रिका
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ख़ानदान-ए-चिराग़ देहलवी
ख़ानदानी वजाहत-ओ-ज़ाती फ़ज़्ल-ओ-करम की वजह से मक़बूल-ए-’आम-ओ-ख़्वास रहे।कार-ओ-बारः-
सय्यद रिज़्वानुल्लाह वाहिदी
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह वजीहुद्दीन अलवी गुजराती
2:- मर्तबा-ए-अर्वाह-ए-मुजुर्दा (’आम-ए-जबरूत)3:- दस नुफ़ूस-ए-’आलमा (जैसे-ए-’आलम-ए-मिसाल)
मआरिफ़
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चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
भारतीय साहित्य पत्रिका
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सन्यासी फ़क़ीर आंदोलन – भारत का पहला स्वाधीनता संग्राम
“मेरा हरकारा ख़बर ले आया कि कल फ़क़ीरों का एक बड़ा दल सिलबेरी (बगुड़ा जिला) के
सुमन मिश्रा
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क़व्वाली में तसव्वुफ़ की इबतिदा और ग़ैर मुस्लिमों की दिलचस्पी और नाअत की इबतिदा
तसव्वुफ़ एक ऐसा मौज़ू’ है जिसमें सारी ख़ल्क़ को ख़ालिक़ की जानिब रुजू’ होने का पैग़ाम
अकमल हैदराबादी
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हज़रत मौलाना शाह हिलाल अहमद क़ादरी मुजीबी
आपका यूँ रुख़्सत हो जाना किसी एक शोबे की कड़ी का टूट जाना नहीं है बल्कि