आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "आसा"
सूफ़ी लेख के संबंधित परिणाम "आसा"
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
आसा मनसा सकल त्यागि कै,जग तैं रहै निरासा।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूफ़ी काव्य में भाव ध्वनि- डॉ. रामकुमारी मिश्र
दई विधाता पूजइ आसा, अस तिरिया जो पावइ पासा--- -चंदायन, 305.2
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
सरश्क-आसा रवाँ अज़ सोज़-ए-सीनागहे दर मक्का गाहे दर मदीना
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
दुगा उगा दहलात दुवन आसा प्रति लग्गहि। तज माह ग्रह बाल जाल बेहाल सुमग्गहि।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
प्रेम मगन, फिरत नगन, संग सरवा बाला। अस महेस विकट भेस, अजहूँ दरस आसा।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
निगः-आसा रवम बर औज-ए-अफ़्लाकज़े जा-ए-ख़्वेश जुंबीदन न-दारम
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
संतों के लोकगीत- डॉ. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम.ए., पी-एच.डी.
पावक देख डरे वह नाही, हँसत बैठे सदा भाई। छोडो तन अपने की आसा, निर्भय है गुन गाई।
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
कबीर के कुछ अप्रकाशित पद ओमप्रकाश सक्सेना
घायल की गति घायल बुझे, भीतर पीण पण बाहर नाहीं सूझे।।कहत कबीर मुवरि मन माही, फेर मरने की आसा नाही।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
बोल न बाँचा=बीच के कोठे में जाने का कोई दाँव नहीं बचा।(5) पाकि गहे पै आसा