परिणाम "उस्लूब"
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उर्दू नस्र में उनका एक रिसाला ‘मर्ग़ूबुल-क़ुलूब’ है।उसमें फ़िक़्ह-ओ-तसव्वुफ़ की मबादियात को आ’म फ़हम उस्लूब में बयान किया गया है।मीराँ जी के कलाम का ज़रा सा नमूना मुलाहिज़ा फ़रमाईएः
अमीर ख़ुसरो, मुरत्त्बा शैख़ सलीम अहमद, इदारा-ए-अदबियात दिल्ली,1974 स46-45)।अमीर ख़ुसरो की शाइ’राना तर्बियत हज़रत निज़मुद्दीन औलिया के जेर-ए-निगरानी हुई।उनकी शाइ’री के आ’शिक़ाना उस्लूब की तश्कील में उनके पीर-ओ-मुर्शिद के मशवरे को काफ़ी अहमियत हासिल है।इससे मुतअ’ल्लिक़ सबाहुद्दीन अ’ब्दुर्रहमान अपनी मार’रकतुल-आरा तस्नीफ़,सूफ़ी अमीर ख़ुसरो,में सियरुल-औलिया के हवाले से रक़म तराज़ हैं।
सुर्ख़ रंग को पसंद करने वाले अफ़राद का कहना है कि ये ग़ैरत-ओ-अहमिय्यत का रंग है
इ’श्क़ ख़ुदा का रसूल इ’श्क़ ख़ुदा का कलामहज़रत गेसू दराज़ इर्शाद फ़रमाते हैं,तमाम अहल-ए-तहक़ीक़ के सामने
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