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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(234) सितार क्यों न बजा,औरत क्यों न नहाई?
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(116) बात की बात ठठोली की ठठोली। मरद की गांठ औरत ने खोली।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
Fawaid-ul-Fawaad (Morals For The Heart) – Book review
9- याद ए हक़ – एक बहुत बुजुर्ग पीर थे जो नदी के किनारे रहते थे।
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
दूल्हा और दुल्हन का आरिफ़ाना तसव्वुर
इस का मतलब है कि जो सूफिया बहुत ज़्यादा मतबा सुन्नत नहीं थे उनके कलाम में
शमीम तारिक़
सूफ़ी लेख
समा के आदाब-ओ-मवाने से का इनहराफ़
(1) माने-ए-अव्वल : गाने वाली ‘औरत हो या तो जवान ख़ुश-रू लड़का, दोनों में ख़राबी का
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
खुमाणरासो का रचनाकाल और रचियता- श्री अगरचंद नाहटा
खुमाणरासो की प्रति का परिचय उक्त प्रति के पत्र 139 है। प्रत्येक पृष्ठ में 15 पंक्तियाँ एवं
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अमीर खुसरौ की जर्तर-ए-तजावुज़
‘’अमीर ख़ुसरो का हिन्दोस्तान से वालिहाना शग़फ़ कभी भी मंतिक़ी हुदूद को भी तोड़ देता है,