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सूफ़ी लेख
सय्यद शाह शैख़ अ’ली साँगड़े सुल्तान-ओ-मुश्किल-आसाँ - मोहम्मद अहमद मुहीउद्दीन सई’द सरवरी
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो के अ’हद की देहली - हुस्नुद्दीन अहमद
” एक ज़माना में मेरा ठिकाना क़िबला-ए-इस्लाम देहली था जो तमाम दुनिया के बादशाहों का क़िबला
मुनादी
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
दिल्ली में हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह गंगा-जमुनी तहज़ीब और सूफ़ी संस्कृति का एक बुलंदतरीन मरकज़
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
दिल्ली में हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह गंगा-जमुनी तहज़ीब और सूफ़ी संस्कृति का एक बुलंदतरीन मरकज़
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
फ़िरदौसी - सय्यद रज़ा क़ासिमी हुसैनाबादी
जब फ़िरदौसी ने उस रक़म को लेने से इन्कार कर दिया, तब वोज़रा ने सुल्तान को
ज़माना
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह नियाज़ बरेलवी की शाइरी में इरफान-ए-हक़
इर्फ़ान-ए-हक़ या ‘‘ख़ुदी की तश्ख़ीस’’ के ज़ैल में अह्ल-ए-इल्म ने सफ़हात दर सफ़हात सियाह किए हैं,
अहमद फ़ाख़िर
सूफ़ी लेख
क़व्वाली की ईजाद-ओ-इर्तिक़ा
किसी फ़न की ईजाद-ओ-इर्तिक़ा के बारे में क़लम उठाना उस वक़्त आसान होता है जबकि हम
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
हज़रत गेसू दराज़ का मस्लक-ए-इ’श्क़-ओ-मोहब्बत - तय्यब अंसारी
हज़रत अबू-बकर सिद्दीक़ रज़ी-अल्लाहु अ’न्हु ने फ़रमाया था:परवाने को चराग़ है, बुलबुल को फूल बस
मुनादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली के क़दीम-ओ-जदीद मुक़ाबले
क़व्वाली के मुक़ाबलों : क़व्वाली के फ़नकारों में मुक़ाबलों का रिवाज बहुत पुराना है लेकिन ज़माना-ए-क़दीम
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
तज़्किरा शंकर-ओ-शंभू क़व्वाल
क़व्वाली का फ़न किसी मज़हब की मीरास नहीं। हर मज़हब के लोग न सिर्फ़ इस फ़न
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
समा के आदाब-ओ-मवाने से का इनहराफ़
हज़रत जुनैद बग़्दादी के समा’अ से आख़िरी उम्र में किनारा-कशी इख़्तियार कर लेने के बा’द समा’अ