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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
कैसे भगति करूँ मैं तेरी।।कैसे भगति करूँ मैं तेरी।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
उदासी संत रैदास जी- श्रीयुत परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल-एल. बी.
दीनदाता करूँ कवन उपाई।। -पद, 75
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
राम नाम धन पाइयो ताते सहज करूँ व्योहार रे।।और
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
क्योंकर ज़बाँ मिलाने की हसरत बयाँ करूँ, उसकी ज़बान और है, मेरी ज़बान और।
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मयकश अकबराबादी जीवन और शाइरी
“जिस महफ़िल में मयकश मौजूद हों उस में, मैं सदारत करूँ ये मुझे गवारा नहीं।”जिगर मुरादाबादी
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
रात-दिन तड़पा रहा है आप ही का इश्तियाक़क्या करूँ मजबूर हूँ ताक़त नहीं रफ़्तार की
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
चन्दायन - डॉ. विश्वनाथ प्रसाद
अन्यत्र एक दोहा इस रूप में दिया हुआ है—और गीत मैं करूँ विनती सीस नाय कर जोड़।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
श्रीगुर चरनदास पद पावन। महाघोर अघ पाप नसावन।।बंदन करूँ उभय कर जोरी। तातैं मति पिवत्र ह्वै मेरी।।3।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह बर्कतुल्लाह ‘पेमी’ और उनका पेम प्रकाश
बचें सब पीर छिन में जिन्हों का पीर जीलानीकरूँ उस नाम क्व ऊपर सों, तन मन जीव कुर्बानी
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
हैं मुझे शिक्वे हज़ारों चर्ख़-ए-कज-रफ़्तार सेक्या करूँ औरों का शिक्वा ऐ अमीर-ए-मुल्क-ए-फ़क़्र