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सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
शुद चू हुब्ब-ए-नज़ार: दामन-गीरगश्त मुतलक़ ब-दाम-ए-क़ैद असीर
मयकश अकबराबादी
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उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
हर हर क़दम पे ठोकरें खाना पड़ा मुझेजब से मिली है क़ैद-ए-क़फ़स की सज़ा मुझे
सुमन मिश्र
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हज़रत मौलाना ज़ियाउद्दीन नख़्शबी
“एक-बार एक ख़लीफ़ा ने एक बूढ़ी औ’रत के लड़के को क़ैद कर दिया ।बूढ़ी औ’रत ने
सय्यद सबाहुद्दिन अब्दुल रहमान
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शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
अब शैख़ का एक और वाक़िआ जो निहायत अहम है ख़ुद शैख़ की ज़बान से लिखता
एजाज़ हुसैन ख़ान
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हज़रत शाह नियाज़ बरेलवी की शाइरी में इरफान-ए-हक़
क़ैद-ए-मज़हब सबब-ए-सलफ़-ए-तजर्रुद ता दीददिल-ए-बे-क़ैद ज़ हर गब्र-ओ-मुसलमाँ बर-गश्त
अहमद फ़ाख़िर
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अस्मारुल-असरार - डॉक्टर तनवीर अहमद अ’ल्वी
एक समर में शिर्क को भी दो क़िस्मों में बाँटा है जली और ख़फ़ी। शिर्क-ए-जली ये
सूफ़ीनामा आर्काइव
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सुल्तान सख़ी सरवर लखदाता-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
पुलिस का इंतिज़ामजिस तरह कश्मीर के मशहूर तीर्थ अमरनाथ जी में चंद दिनों के लिए पुलिस
सूफ़ी
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अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
ख़ुसरो की कविता में चमत्कार के साथ हृदय पर अधिकार करने की अद्भुत शक्ति भी है।
माधुरी पत्रिका
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गीता और तसव्वुफ़ - मुंशी मंज़ूरुल-हक़ कलीम
जो आ’रिफ़ ज्ञान योग इ’ल्म-ए-ख़ुद-शनासी पर क़ादिर हो कर फ़े’ल के नतीजा की परवाह नहीं करते,
ज़माना
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याद रखना फ़साना हैं ये लोग - डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ख़ाँ
हिंदुस्तानियों की नज़र में बहादुर शाह ज़फ़र के अंदर जंग-ए-आज़ादी के हीरो की शान जिन रिवायतों
मुनादी
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हज़रत शैख़ अबुल हसन अ’ली हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैहि
अस्हाब-ए-रज़ा चार क़िस्म के होते हैं।एक ख़ुदावंद तआ’ला की अ’ता (ख़्वाह वो कैसी ही हो) पर
सूफ़ीनामा आर्काइव
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बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
हज़रत शाह क़ासिम दानापूरी ने स्वाधीनता संग्राम में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। जब अंग्रेजों
सुमन मिश्र
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क़व्वाली के मज़ामीन
इन दोनों में ज़्यादा चाव पहली सूरत ही में मिलता है लेकिन इस बात का सही