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सूफ़ी लेख
शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
बा’द-ए-चिल रोज़ आँ मुरीद-ए-पाक बाज़ ।बूद अंदर ख़ल्वत-ए-ख़ुद दर नमाज़ ।।
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
हम साथ लेते आए हैं तस्वीर–ए–यार कोक्यूँ कर कहें न ख़ल्वत–ए–जानाँ मज़ार को
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
उ’रूस-ए-ख़ल्वत-ए-वह्म शम्अ’-ए-अंजुमन हमः ऊस्तब-मुस्हफ़-ए-रुख़-ए-ख़ूबाँ हमीं नमूद रक़म
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
हज़रत सय्यिद मेहर अ’ली शाह - डॉक्टर सय्यिद नसीम बुख़ारी
आपका मा’मूल था कि फ़ज्र के वक़्त से दस बजे दिन तक ज़िक्र-ओ-अज़्कार में अपने आपको
मुनादी
सूफ़ी लेख
बाबा फ़रीद के मुर्शिद और चिश्ती उसूल-ए-ता’लीम-प्रोफ़ेसर प्रीतम सिंह
चूँकि सिलसिला-ए-ता’लीम मुद्दतुल-उ’म्र जारी रहता था इसलिए जब मुरीद का मुर्शिद से रिश्ता क़ाएम हो जाता
मुनादी
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तल्क़ीन-ए-मुरीदीन-हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन सुहरवर्दी
एक ये कि शैख़ को और उसके आ’माल को देखे कि वो किस तरह ख़ल्वत और
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
शैख़ हुसामुद्दीन मानिकपूरी
(2)रिसाला-ए-महविया- ये एक मुख़्तसर रिसाला है। जैसा कि इस के नाम से ज़ाहिर है इस में
उमैर हुसामी
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ख़ानक़ाह-ए-फुलवारी शरीफ़ के मरासिम-ए-उ’र्स
इस सुहाने वक़्त की मज्लिस-ए-ममाअ’ वाक़ई’ एक ख़ास असर और अ’जीब लुत्फ़ रख़ती है।इस वक़्त महफ़िल
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
मुर्शिद की नसीहत थी कि समाअ’ के वक़्त बातिनी अहवाल ज़ाहिर न हों ।इसलिए जब कभी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत सय्यिदना अ’ब्दुल्लाह बग़दादी - मैकश अकबराबादी
कहते हैं कि आपका ऐसा तसर्रुफ़ था कि जिस शहर और क़स्बे में तशरीफ़ ले जाते