आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "घटा"
सूफ़ी लेख के संबंधित परिणाम "घटा"
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
जन ऊरा तूँ पूरा।।3।।दामिनि दमकि घटा घहरानी,
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
कि रहमतों की उठी है घटा मदीने सेइलाही कोई तो मिल जाये चारागर ऐसा
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(212) नीला कंठ और पहिरे हरा। सीस मुकुट नाचे वह खड़ा।।देखत घटा अलापै चोर। ऐ सखी साजन ना सखी मोर।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(212) नीला कंठ और पहिरे हरा। सीस मुकुट नाचे वह खड़ा।। देखत घटा अलापै चोर। ऐ सखी साजन ना सखी मोर।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत मख़दूम अहमद चर्म-पोश
मख़दूम अहमद चर्म-पोश की जन्म-तारीख़ पक्के तौर पर मालूम नहीं है, लेकिन प्रामाणिक तौर पर 657
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ जमालुद्दीन कोल्हवी
मय-कशाँ मुज़्द: कि अब्र आमद-ओ-बिस्यार आमदचारों तरफ़ से घटा उमड़ आई। मूसला-धार बरसने लगा। चारों तरफ़
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
कबीरपंथी और दरियापंथी साहित्य में माया की परिकल्पना - सुरेशचंद्र मिश्र
मोह- कबीरपंथी साहित्य में मोह को अत्यंत दुख-प्रद तत्व स्वीकार किया गया है। भवसागर में डूबने का
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
पाँचवाँ क्रम आज़मशाही कहलाता है। यह जौनपुर के रहने वाले हरजू नामक कवि ने आज़मगढ़ के
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
फ़िरदौसी - सय्यद रज़ा क़ासिमी हुसैनाबादी
फ़िरदौसी दूसरे ईरानी शो’रा की तरह ग़ज़लें या आ’शिक़ाना नग़्मे नज़्म करता था। उसकी रगों में
ज़माना
सूफ़ी लेख
उमर ख़ैयाम श्रीयुत इक़बाल वर्मा, सेहर
ख़ैयाम में एक खूबी और भी है जो उस की रुबाइयों में प्रायः सर्वत्र देखी जाती