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सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
तोरे नीके नीके नयनवां बलमहमरे तो तुम एक पीहरवा और नहीं दुई चार
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
तोरे नीके नीके नयनवां बलमहमरे तो तुम एक पीहरवा और नहीं दुई चार
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
संत कबीर की सगुण भक्ति का स्वरूप- गोवर्धननाथ शुक्ल
यह तत वह तत एक है एक प्रान दुई गात। अपने जिय से जानिये मेरे जिय की बात।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
अह्ल-ए-हक़ीक़तस्त ऊ क़ाएल ब-वह्दतस्त ऊहर्फ़-ए-दुई न-शुनवद कस अज़ लब-ए-क़लंदर