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सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
देखूँ तो किस को देखूँ चाहूँ तो किस को चाहूँआँखें हैं महव-ए-वारिस दिल मुब्तला-ए-वारिस
सुमन मिश्रा
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संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
तूँ मोहिं देखै हौ तोहि देखूँ,प्रीति परस्पर होई।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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याद रखना फ़साना हैं ये लोग - डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ख़ाँ
कहाँ जाके देखूँ मैं जाऊँ किधर मिरा चैन गया मिरा नींद गई––––––––––––
मुनादी
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मीरां के जोगी या जोगिया का मर्म- शंभुसिंह मनोहर
नैणज देखूँ नाथ नै, धाइ करुँ आदेस।। 3. जोगिया से प्रीत कियां दुख होय।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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कदर पिया- श्री गोपालचंद्र सिंह, एम. ए., एल. एल. बी., विशारद
ना मैं देखूँ और को, ना तोहे देखन दूँ।। अपनी सी की बहुत का जाने का मर्जी।