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सूफ़ी लेख
ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगान हज़रत ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती अजमेरी - आ’बिद हुसैन निज़ामी
ये 582 हिज्री की बात है।निशापुर के क़रीब क़स्बा हारून में वक़्त के एक मुर्शिद-ए-कामिल ने
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत मख़दूम अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी के जलीलुल-क़द्र ख़ुलफ़ा - सय्यद मौसूफ़ अशरफ़ अशरफ़ी
आप जीलान के रहने वाले थे और हज़रत ग़ौसुल-आ’लम की ख़ाला-ज़ाद बहन के साहिब-ज़ादे थे।आपके वालिदैन
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत हसन जान अबुल उलाई
कहा जाता है कि हज़रत हसन जान जब पहले-पहल बारगाह-ए-हज़रत-ए-इश्क़ में हाज़िर हुए तो हज़रत ख़्वाजा
रय्यान अबुलउलाई
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आगरा में ख़ानदान-ए-क़ादरिया के अ’ज़ीम सूफ़ी बुज़ुर्ग
ये मन्सब मेरे जद्द हज़रत ग़ौस-ए-आ’ज़म ने तुम्हें इ’नायत फ़रमाया है ।मेरे हाथ से लो और
फ़ैज़ अली शाह
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अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
ने पय-ए-बाज़ीचः ब-दीद आमदीख़ुसरो ने जिसको अपनी ज़िंदगी और शाइ’री का मस्लक क़रार दिया वो उनका
फ़रोग़-ए-उर्दू
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तज़्किरा हज़रत मीर सय्यद अली मंझन शत्तारी राजगीरी
मीर सय्यद अली मंझन शत्तारी आप ही के बेटे थे, जो शैख़ क़ाज़िन-उला शत्तारी का बड़ाई
डॉ. शमीम मुनएमी
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हिंदुस्तान की तहज़ीब और सक़ाफ़त में अमीर ख़ुसरो की खिदमात
खुशी में कैकुबाद ने खुसरो को ऐजाज़ से नवाज़ा। खुसरो ने इसी ज़मीन में किरानुस्सादैन नाम