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सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
नैन पलक चितवन नहीं, पाथर गोल सिडौलमन पंड़ित का क्यूँ भयो बुत पर डाँवा-डोल
ज़माना
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
मेटि दुहाग सुहागिन कीजै, अपने अंग लगाई। कहि रैदास स्वामी क्यों बिछोहे, एक पलक जुग जाई।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
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सूर का वात्सल्य-चित्रण, डॉक्टर सोम शेखर सोम
तू काहैं नहिं बेगिहिं आवै तोकौं कान्ह बुलावै।।कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं कबहुँ अधर फरकावै।
सूरदास : विविध संदर्भों में
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कदर पिया- श्री गोपालचंद्र सिंह, एम. ए., एल. एल. बी., विशारद
कदर पिया के तीर चलो कि उसने होगा न्याओ।। आओ पिया तुम नयनन माँ, पलक ढाँप तोहे लूँ।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
निसि मुद्रित, प्रातहि वै बिगसत, ये बिगसत दिन राति।। अरुन असित सित झलक पलक प्रति को बरनै उपमाय।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मीराबाई और वल्लभाचार्य
नैनन बनज बसाऊं री जो मैं साहिब पाऊं री। इन नैनन मोरा साहब बसता डरती पलक न लाऊं री।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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ज़ियाउद्दीन बर्नी की ज़बानी हज़रत महबूब-ए-इलाही का हाल
कोई मोहल्ला ऐसा ना था जहाँ पर महीना बीस रोज़ के बा’द नेक लोगों की मज्लिस
ख़्वाजा हसन सानी
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सतगुरू नानक साहिब
ज़ुल्फ़-ओ-पलक की बातों में नूर-ए-दीदा को आगे बढ़ने की फ़ुर्सत मिली और उसने नानक बाबा की
सूफ़ीनामा आर्काइव
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मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
(3)मीरा रामायण का निष्कर्ण है तन्मयता का आदर्श। मीरा भी स्वान्तःसुखाय है। “जाके प्रिय न राम
सूफ़ीनामा आर्काइव
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सूर के भ्रमर-गीत की दार्शनिक पृष्ठभूमि, डॉक्टर आदर्श सक्सेना
सेवक सूर लिखन कौ आँधौ, पलक कपाट अरे।।पता नहीं मथुरा में स्याही चुक गई या कागज
सूरदास : विविध संदर्भों में
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सूरदास का वात्सल्य-निरूपण, डॉ. जितेन्द्रनाथ पाठक
सूरसागर में कृष्ण जन्म की आनन्द बधाई के बाद बाल-लीला का क्रम शुरू होता है। सामान्यतः