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सूफ़ी लेख
हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
ये मौलाना मुज़फ़्फ़र के नाम हैं।ब्यान किया जाता है कि हज़रत मख़ूदमुल-मुल्क ने उनके नाम दो
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
सुल्तान सख़ी सरवर लखदाता-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
आपकी शादीआप चूँकि सैलानी फ़क़ीर थे।एक जगह का मुस्तक़िल क़ियाम पसंद-ए-ख़ातिर न था।जब लोगों का हुजूम
सूफ़ी
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो - तहज़ीबी हम-आहंगी की अ’लामत - डॉक्टर अनवारुल हसन
सूफ़िया-ए-किराम ने आ’म तौर पर और चिश्ती मशाइख़ ने ख़ुसूसिय्यत के साथ हिंदू मज़हब के बारे
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
सतगुरू नानक साहिब
उसने सोचा रौशन आँख के किनारे मुझे क्यूँ खड़ा किया गया।दिल ने बताया अपनी टेढ़ी नोकों
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
मंसूर हल्लाज
वो कहे अल्लाह हू और मैं कहूं अल्लाह हूँ।।मुख़ालिफ़ीन ने कोशिश करनी शुरूअ’ की कि किसी
निज़ाम उल मशायख़
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
इस बर्र-ए-सग़ीर में सिलसिला-ए-अबुल-उ’लाइया का फ़ैज़ान और इस की मक़बूलियत इस तरह हुई कि हर ख़ानक़ाह
रय्यान अबुलउलाई
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दूल्हा और दुल्हन का आरिफ़ाना तसव्वुर
आम तौर से लोगों को औरत का हुस्न-व-जमाल भी पसंद है और मर्द का जाह-व-जलाल भी।
शमीम तारिक़
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ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
“मुझे ठीक मालूम नहीं है कि वाइज़ क़व्वाल की पैदाइश कहाँ की है लेकिन अब वो
सुमन मिश्र
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फ़िरदौसी - सय्यद रज़ा क़ासिमी हुसैनाबादी
फ़िरदौसी की तस्नीफ़ कर्दा ये हज्व हमेशा उस ग़ज़नवी सुल्तान की सीरत को बे-नक़ाब रखेगी।ये हज्व
ज़माना
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शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
बुलंद दर्जे की शाइ’री उस वक़्त मा’रज़-ए-वजूद में आई है जब इन्सानी दिमाग़ हयात के उन