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सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
बाप माँ बहन बीवी बच्चे छूट जायेंगेतेरे जितने हैं भाई वक़तका चलन देंगे
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
अयोध्या की राबिया-ए-ज़मन – हज़रत सय्यदा बड़ी बुआ
अभी ये हज़रत कमसिन ही थे कि हज़रत अ’ब्दुर्रहमान का इन्तिक़ल हो गया। ख़ैरुल-मजालिस में है
सय्यद रिज़्वानुल्लाह वाहिदी
सूफ़ी लेख
औघट शाह वारसी और उनका कलाम
औघट शाह वारसी साहब अपने पिता के आदेश पर क़रीब बारह वर्षों तक भ्रमण करते रहे
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
Sheikh Naseeruddin Chiragh-e-Dehli
अपनी माँ के देहांत तक नसीरुद्दीन अयोध्या में ही रहे । इनकी वालिदा की मज़ार अयोध्या
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
याद रखना फ़साना हैं ये लोग - डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन ख़ाँ
बहादुर शाह के ज़िक्र में राशिदुल-ख़ैरी ने उस तक़रीब का समाँ इन अल्फ़ाज़ में बाँधा है।“उधर
मुनादी
सूफ़ी लेख
जिन नैनन में पी बसे दूजा कौन समाय
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया ने फ़रमाया- इस जहाँ में जब कोई रिश्ता टूटता है तो ख़ुदा उसके
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत सयय्द अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी का पंडोह शरीफ़ से किछौछा शरीफ़ तक का सफ़र-अ’ली अशरफ़ चापदानवी
इ’राक़, हिजाज़ और यमन का सफ़रः-हिन्दुस्तान से आप सब से पहले इ’राक़ तशरीफ़ ले गए।वहाँ बसरा,
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया-अपने पीर-ओ-मुर्शिद की बारगाह में
हज़रत निज़ामुद्दीन रहि• के दिल में बाबा फ़रीद रहि• की मुहब्बत और उनकी ज़ात-ए-गिरामी से बे-पनाह
निसार अहमद फ़ारूक़ी
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो के अ’हद की देहली - हुस्नुद्दीन अहमद
” एक ज़माना में मेरा ठिकाना क़िबला-ए-इस्लाम देहली था जो तमाम दुनिया के बादशाहों का क़िबला
मुनादी
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हज़रत मख़दूम अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी के जलीलुल-क़द्र ख़ुलफ़ा - सय्यद मौसूफ़ अशरफ़ अशरफ़ी
आप जीलान के रहने वाले थे और हज़रत ग़ौसुल-आ’लम की ख़ाला-ज़ाद बहन के साहिब-ज़ादे थे।आपके वालिदैन
सूफ़ीनामा आर्काइव
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जाहरपीरः गुरु गुग्गा, डा. सत्येन्द्र - Ank-2,1956
गुरू गोरखनाथ की सेवा की बाछल ने, फल देने का अवसर आया तो उसकी बहन काछल