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सूफ़ी लेख
हज़रत शाह नियाज़ बरेलवी की शाइरी में इरफान-ए-हक़
हमी सदाए ब-गोशम रसानद बाद-ए-सबाकि लाल:-ओ-गुल-ओ-नसरीन-ओ-नस्तरन हम: ऊस्त
अहमद फ़ाख़िर
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हज़रत शैख़ फ़ख़्रुद्दीन इ’राक़ी रहमतुल्लाह अ’लैह
गुल सुब्ह-दम अज़ बाद बर आशुफ़्त-ओ-बरेख़्तबा-बाद-ए-सबा हिकायते गुफ़्त-ओ-बरेख़्त
सूफ़ीनामा आर्काइव
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उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
कसे कि महरम-ए-बाद-ए-सबा अस्त मी-दानदकि बावजूद-ए-ख़िज़ाँ बू-ए-यासमन बाक़ीस्त
ज़माना
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अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
ता सहर वह भी न छोड़ी तु ने ऐ बाद-ए-सबायादगार-ए-रौनक़-ए-महफ़िल थी परवाने की ख़ाक।
माधुरी पत्रिका
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क़व्वाली का ‘अह्द-ए-ईजाद और मक़्सद-ए-ईजाद
क़व्वाली की ईजाद अमीर ख़ुसरो के ‘अह्द-ए-हयात 1253 ता 1325 के ठीक दरमियान का ‘अह्द है,
अकमल हैदराबादी
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महफ़िल-ए-समाअ’ और सिलसिला-ए-वारसिया
अ’रबी ज़बान का एक लफ़्ज़ ‘क़ौल’ है जिसके मा’नी हैं बयान, गुफ़्तुगू और बात कहना वग़ैरा।आ’म
डॉ. कबीर वारसी
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क़व्वाली का अहद-ए-ईजाद और समाजी पस-ए-मंज़र
मूजिद-ए-क़व्वाली हज़रत अमीर ख़ुसरो का ‘अह्द इब्तिदा-ए-इस्लाम और मौजूदा ‘अह्द के ठीक दरमियान का ‘अह्द है
अकमल हैदराबादी
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सूफ़िया-ए-किराम और ख़िदमात-ए-उर्दू - सय्यद मुहीउद्दीन नदवी
आज दुनिया बजा तौर पर उन मुबारक हस्तीयों पा नाज़ कर सकती है जिन्हों ने इ’मादुद्दीन
सूफ़ीनामा आर्काइव
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बक़ा-ए-इंसानियत के सिलसिला में सूफ़िया का तरीक़ा-ए-कार- मौलाना जलालुद्दीन अ’ब्दुल मतीन फ़िरंगी महल्ली
बात की इब्तिदा तो अल्लाह या ईश्वर के नाम ही से है जो निहायत मेहरबान और