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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
बेटी तेरा मामूं तो बॉका री कि सावन आया।(7) दोहा
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
बेटी तेरा मामूं तो बॉका री कि सावन आया।(7) दोहा
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सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
(ख) बूझत श्याम, कौन तू, गोरी! कहाँ रहति, काकी तू बेटी? देखी नाहि कहूँ ब्रज-खोरी।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर के माखन-चोर- श्री राजेन्द्रसिंह गौड़, एम. ए.
बड़े बाप की बेटी, पूतहिं भली पढ़ावति बानी।। सखा-भीर लै बैठत घर मैं, आप खाई वौ सहिये।
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह फ़रीदुद्दीन अहमद चिश्ती
"जन्नतुल-फ़िर्दौस मक़ाम-ए-अबदी शुद" (1336 हिज्री)इस पहले निकाह से आपको एक बेटी और एक बेटा पैदा हुए:
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
पैकर-ए-सब्र-ओ-रज़ा “सय्यद शाह मोहम्मद यूसुफ़ बल्ख़ी फ़िरदौसी”
ब-गोयम अ’ली बाज़ गोयम अ’ली राआपकी पहली शादी 19 रजब 1306 हिज्री, पीर बग्घा के एक
अब्सार बल्ख़ी
सूफ़ी लेख
हज़रत मख़्दूमा बीबी कमाल, काको
काको की प्रसिद्ध महिला सूफ़ी हज़रत मख़्दूमा बीबी कमाल की ज़िंदगी के बारे में कुछ ही
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
अलाउल और उनकी पद्मावती-सत्येन्द्रनाथ घोषाल, शान्तिनिकेतन - Ank-1, 1956
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
उस के बाद उन्होंने अपने पीर के क़दमों में ही अपना पूरा जीवन गुज़ार दिया।आगरा की
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली- बिशम्भर नाथ पाण्डेय
“तुम समझते हो कि बरहमन हो, इसलिए मैं तुम्हें तुम्हारी इस दग़ा-बाज़ी के लिए मुआ’फ़ कर
मुनादी
सूफ़ी लेख
शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
हज़रत शाह काज़िम क़लन्दर क़स्बा से फ़ासले पर क़ब्रिस्तान में एक छोटे से हुजरे में रहते
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
अर्थात् चर्ख़ा कातना और सीना-पिरोना न छोड़ना- इसे छोड़ बैठना अच्छी बात नहीं है, क्योंकि यह
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
और कुछ कुछ अपना परिचय भी दिया है। इसके 15 प्रकरणों के जोड़ से 723 दोहे
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मौलाना जलालुद्दीन रूमी
इनका नाम मुहम्मद,लक़ब जलालुद्दीन उर्फ़ मौलाना एवं उपनाम रूम था। इनके पिता मुहम्मद बिन हुसैन थे