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सूफ़ी लेख
जिन नैनन में पी बसे दूजा कौन समाय
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया ने फ़रमाया- इस जहाँ में जब कोई रिश्ता टूटता है तो ख़ुदा उसके
सुमन मिश्रा
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हज़रत गेसू दराज़ हयात और ता’लीमात
बड़ौदा से आप अपने वालिद-ए-बुजु़र्ग-वार के मज़ार पर हाज़िरी देने के लिए दौलताबाद गए।यहाँ का गवर्नर
निसार अहमद फ़ारूक़ी
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आगरा में ख़ानदान-ए-क़ादरिया के अ’ज़ीम सूफ़ी बुज़ुर्ग
एक दिन हज़रत सय्यिद अपने हुज्रा-ए-ख़ास में तशरीफ़ फ़रमा थे और आपका ख़ादिम आपके दर्वाज़े पर
फ़ैज़ अली शाह
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Malangs of India
सातवी हिजरी में लिखी हुई प्रसिद्द किताब फ़वायद उल फ़ुवाद ( जिसमे हज़रत निजामुद्दीन औलिया के
सुमन मिश्रा
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ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगान हज़रत ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती अजमेरी - आ’बिद हुसैन निज़ामी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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शैख़ सलीम चिश्ती
लेकिन जब पाकपत्तन शरीफ़ हाज़िर हुआ तो दीवान साहिब ने फ़रमाया कि तुम्हारा मतलब बिरादरम शैख़
ख़्वाजा हसन निज़ामी
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हज़रत मख़्दूम दरवेश अशरफ़ी चिश्ती बीथवी
चंद दिनों के बा’द आपकी आमद की धूम मच गई।एक नहीं हज़ार लाखों तक बातें पहुँची।
मुनीर क़मर
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Sheikh Naseeruddin Chiragh-e-Dehli
1. धन – ताकि वह ज़रूरतमन्द लोगों की मदद कर सके ! आज कल ख़ानक़ाह में
सुमन मिश्रा
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ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती की दरगाह
अय्याम-ए-उ’र्स के अ’लावा भी हर साल लाखों ज़ाइरीन यहाँ आस्ताँ-बोसी के लिए आते हैं। ख़्वाजा साहिब
निसार अहमद फ़ारूक़ी
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हज़रत शाह-ए-दौला साहब-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
राजा इस फ़रमान के पहुँचने पर कलिमात-ए-मसर्रत-अंगेज़ ख़ुद हज़रत की ज़बान-ए-मोबारक से सुनने के लिए मआ’
सूफ़ी
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हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी - प्रोफ़ेसर इफ़्तिख़ार अहमद चिश्ती सुलैमानी
मियाँ नूर बख़्श महारवी से मंक़ूल है कि कोट मट्ठन के क़रीब एक क़ाज़ी साहिब रहते