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सूफ़ी लेख
कदर पिया- श्री गोपालचंद्र सिंह, एम. ए., एल. एल. बी., विशारद
तारीख कहिन कदर, सम्मत में भरपूर। मिर्जा कैवाँ जाह बहादुर, भए मगफूर।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
जो जन आयो सर्न तासकी चाह मिटाई।।दसधा आनिन की टेक विवेक भरपूर गुंसाई।
भारतीय साहित्य पत्रिका
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संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
तिर देवा थिर नहीं नहीं थिर माया रानी।।चरनदास लख दृष्टि भर एक शब्द भरपूर है।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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संत साहित्य
तिर देवा थिर नहीं नहीं थिर माया रानी।। चरनदास लख दृष्टि भर एक शब्द भरपूर है।
परशुराम चतुर्वेदी
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मंझनकृत मधुमालती - श्री चंद्रबली पाँडे एम. ए.
अस्तु, हमें कहना पड़ता है कि मुसलिम समाज की इस ममता और इस प्रीति का मुख्य
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह मोहसिन दानापुरी
आप बड़े पुर-गो शाइ’र थे। हर सिन्फ़-ए-शाइ’री पर तब्अ’-आज़माई की है और अक्सर जगहों पर उन्होंने
रय्यान अबुलउलाई
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मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
परन्तु सूर में कसर थी जो मीरा से पूरी हुई। नहीं तो उसका पूरा होना असंभव
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हकीम शाह अलीमुद्दीन बल्ख़ी फ़िरदौसी
बर्र-ए-सग़ीर हिंद-ओ-पाक की जिन शख़्सियतों को सहीह मानों में अहद साज़ और अबक़री कहा जा सकता
रय्यान अबुलउलाई
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सतगुरू नानक साहिब
क्यों गुरु बाबा इस में आप क्या फ़रमाते हैं? फ़रमाया हम निरंकारी हैं (या’नी बे-शक्ल ख़ुदा
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत शाह फ़रीदुद्दीन अहमद चिश्ती
इसी तरह प्रसिद्ध सूफ़ी हज़रत सय्यदना अमीर अबुलउला से भी आपकी रूहानी निस्बत थी, क्योंकि जिन
रय्यान अबुलउलाई
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ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ - अबुल-आज़ाद ख़लीक़ी देहलवी
अह्ल-ए-बातिन से कोई गिरोह ख़ाली नहीं और न ही ख़याल किया जा सकता है कि कोई
निज़ाम उल मशायख़
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अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की दूसरी क़िस्त
इसके अतिरिक्त इस शरीर की जो रचना है और इसके अंगों में जो गुण रखे गये
सूफ़ीनामा आर्काइव
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सुफ़ियों का भक्ति राग
उत्तर भारत में भक्ति जो वैष्णव मत के रूप में राजपूत रियासतों में पहले ही मौजूद