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सूफ़ी लेख
आगरा में ख़ानदान-ए-क़ादरिया के अ’ज़ीम सूफ़ी बुज़ुर्ग
नमूना-ए-कलाममजाज़ से जो हक़ीक़त का हमने काम लिया
फ़ैज़ अली शाह
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शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
क़त्र:इ- बूद अंदरीं बह्र-ए-मजाज़ ।सू-ए-दरिया-ए-हकीक़त रफ़्त बाज़ ।।
सुमन मिश्र
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शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
हंगाम-ए-ज़ुह्द-ओ-तौबः-ओ-तक़्वा गुज़श्त-ओ-रफ़्तदौर-ए-हक़ीक़तस्त वदाअ’-ए-मजाज़ कुन
मयकश अकबराबादी
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बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से) - डॉक्टर मसऊ’द अनवर अ’लवी
(दिलबरों के बेहतरीन असरार वही हैं जो दूसरों के लब-ओ–लिह्जा में बयान किए जाएँ)।अंदाज़-ए-बयान इस क़दर
मुनादी
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लिसानुल-ग़ैब हाफ़िज़ शीराज़ी - मोहम्मद अ’ब्दुलहकीम ख़ान हकीम।
आ’लम-ए-अम्र वो है जो कुन से पैदा हुआ है और आ’लम-ए-ख़ल्क़ वो है जो उससे मा-बा’द
निज़ाम उल मशायख़
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ख़्वाजा गेसू दराज़ बंदा-नवाज़ - प्रोफ़ेसर सय्यद मुबारकुद्दीन रिफ़्अ’त
इस हिकायत के यहाँ नक़्ल करने से मक़्सद सिर्फ़ हज़रत मख़दूम की तर्बियत का अंदाज़ दिखाना
सूफ़ीनामा आर्काइव
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अमीर ख़ुसरो की सूफ़ियाना शाइ’री - डॉक्टर सफ़्दर अ’ली बेग
काएनात का हुस्न हर फ़र्द-ए-बशर को मस्हूर कर लेता है और उसका दिल मोह लेता है
फ़रोग़-ए-उर्दू
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शैख़ सलीम चिश्ती
चूँकि ख़्वाजा मूसा ला-वल्द थे हज़रत शैख़ को ख़ास शफ़क़त-ओ-मोहब्बत से परवरिश किया।जब आपकी उ’म्र चौदह
ख़्वाजा हसन निज़ामी
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मैकश अकबराबादी
मैकश अकबराबादी ने एक तवील मुद्दत तक अदब-ओ-अदीब दोनों के लिए अपनी उ’म्र का एक बड़ा
शशि टंडन
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हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
मुर्शिद की नसीहत थी कि समाअ’ के वक़्त बातिनी अहवाल ज़ाहिर न हों ।इसलिए जब कभी