आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "मजीद"
सूफ़ी लेख के संबंधित परिणाम "मजीद"
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत मख़दूम अहमद चर्म-पोश
सय्यद नेअमतुल्लाह बिनसय्यद अब्दुल मजीद बिन
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
पीर नसीरुद्दीन ‘नसीर’
तज़मीनात बर कलाम अहमद रज़ा बरेलवीकुरान-ए-मजीद के आदाब-ए-तिलावत
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
तज़्किरा कुतुब-ए-आलम हज़रत शाह क़ुतुब अली बनारसी
हज़रत शाह ’अब्दुल मजीद चकियावीहज़रत शाह चकियावी मूल
इल्तिफ़ात अमजदी
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से) - डॉक्टर मसऊ’द अनवर अ’लवी
मुनादी
सूफ़ी लेख
आदाब-ए-समाअ’ पर एक नज़र - मैकश अकबराबादी
इसी तरह बा’ज़ अ’रबी पढ़े ए’तिराज़ करते हैं कि क़ुरआन-ए-मजीद पर कैफ़िय्यत क्यों नहीं होती गाने
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी
हज़रत ख़्वाजा क़ुतुब साहिब वस्त एशिया के मक़ाम-ए-ओश के रहने वाले थे। छोटे से थे कि
ख़्वाजा हसन सानी
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह बर्कतुल्लाह ‘पेमी’ और उनका पेम प्रकाश
सूफ़ियों के यहाँ इस मसल से उस हदीस की तरफ़ इशारा है जिसमें कहा गया है
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
एकता का महत्व
“हर मज़हब और धर्म हमें आपसी मोहब्बत-ओ-इत्तिफ़ाक़ की ता’लीम देता है। मज़हब तो इसलिए है कि
जाबिर ख़ान वारसी
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बुर्हानुद्दीन ग़रीब
तिलावत-ए-क़ुरआन मजीद के वक़्त अगर अ’ज़ाब-ओ-रहमत की आयत आए तो उस वक़्त तिलावत करने वाले तअम्मुल
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
महफ़िल-ए-समाअ’ और सिलसिला-ए-वारसिया
अ’रबी ज़बान का एक लफ़्ज़ ‘क़ौल’ है जिसके मा’नी हैं बयान, गुफ़्तुगू और बात कहना वग़ैरा।आ’म
डॉ. कबीर वारसी
सूफ़ी लेख
हज़रत सय्यिद मेहर अ’ली शाह - डॉक्टर सय्यिद नसीम बुख़ारी
आपसे किसी ने सवाल किया शाह साहिब आप सय्यिद घराने से तअ’ल्लुक़ रखते हैं और आल-ए-रसूल
मुनादी
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो बुज़ुर्ग और दरवेश की हैसियत से - मौलाना अ’ब्दुल माजिद दरियाबादी
सोज़-ए-दिल और ज़ौक़-ए-इ’बादत का आ’लम ये था कि पिछली रात नमाज़ पढ़ने खड़े होते तो सात