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सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
चूँ ब-बीनी चंद कस बेहूदः गर्दख़्वेश रा गोई मनम मर्दाना मर्द
सूफ़ीनामा आर्काइव
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शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
गुफ़्त दुख़्तर गर तु हस्ती मर्द-ए-कार ।कर्द बायद चार चीज़त इख़्तियार ।।
सुमन मिश्रा
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हज़रत मौलाना ज़ियाउद्दीन नख़्शबी
नख़्शबी हुक्म-ए-ख़ल्क़ चीज़े नीस्तमर्द-ए-ईं रह कुजास्त दर आ’लम
सय्यद सबाहुद्दिन अब्दुल रहमान
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हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
शनासद आँ कि मर्द-ए-ज़िंदगानीस्त।कि ज़ौक़-ए-बर्ग ख़ाली ज़ौक़-ए-जानीस्त।।
फ़रोग़-ए-उर्दू
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हिन्दुस्तानी क़व्वाली के विभिन्न प्रकार
मंज़िल-ए-इश्क़ अज़ मक़ाम-ए-दीगर अस्तमर्द-ए-मा’नी रा निशान-ए-दीगर अस्त
सुमन मिश्रा
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मयकश अकबराबादी जीवन और शाइरी
आज़ाद है कौनैन से वो मर्द-ए-क़लंदरमयकश को न दे ताज-ए-बुख़ारा-ओ-समर्क़ंद
सुमन मिश्रा
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गीता और तसव्वुफ़ - मुंशी मंज़ूरुल-हक़ कलीम
राह-ए-हक़ की है अगर आसी तलाशख़ाक-ए-पा बन मर्द-ए-हक़-आगाह की
ज़माना
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चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
अगर हो इ’श्क़, तो है कुफ़्र भी मुसलमानीन हो तो मर्द-ए-मुसलमाँ भी काफ़िर-ओ-ज़िंदीक़
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
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अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
मुस्तक़िल-मिज़ाजी से हालात का मुक़ाबला करना चाहिए।मर्द न तर्सद ज़े-फ़क़्र शेर न तर्सद ज़े-ज़ख़्म ।
फ़रोग़-ए-उर्दू
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हज़रत गेसू दराज़ का मस्लक-ए-इ’श्क़-ओ-मोहब्बत - तय्यब अंसारी
मर्द-ए-ख़ुदा का अ’मल इ’श्क़ से साहिब-ए-फ़रोग़इ’श्क़ है अस्ल-ए-हयात, मौत है उस पर हराम
मुनादी
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अमीर ख़ुसरो - तहज़ीबी हम-आहंगी की अ’लामत - डॉक्टर अनवारुल हसन
ऐ बसा मर्द-ए-ख़ुदा कू कमतर अज़ हिन्दू ज़नेस्त।।जाँ फ़िदा-ए-दोस्त कुन कम ज़ाँ ज़न-ए-हिंदू न ई।
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत अमीर ख़ुसरौ
कि बा मा यक नफ़स हम-राज़ गर्ददअगर अब्लह बुवद आँ मर्द-ए-नादाँ
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
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समा’ के आदाब
मंज़िल-ए-’इश्क़त मकाने दीगर अस्तमर्द-ए-ईं रह रा निशाने दीगर अस्त
डाॅ. अब्बास नीयाज़ी
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दूल्हा और दुल्हन का आरिफ़ाना तसव्वुर
आम तौर से लोगों को औरत का हुस्न-व-जमाल भी पसंद है और मर्द का जाह-व-जलाल भी।
शमीम तारिक़
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सतगुरू नानक साहिब
कोई सिख दाढ़ी नहीं मुंडवाता न कतरवाता है।ये भी अ’लामत वहदत की है,क्यूँकि क़ौम एक शक्ल