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हज़रत मख़दूम अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी के जलीलुल-क़द्र ख़ुलफ़ा - सय्यद मौसूफ़ अशरफ़ अशरफ़ी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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समाअ’ और आदाब-ए-समाअ’- मुल्ला वाहिदी देहलवी
ये भी वाज़िह रहे कि सिर्फ़ अच्छे क़िस्म के अश्आ’र सुने जा सकते हैं।बेहूदा,फ़ुहश और हज्विया
मुनादी
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पैकर-ए-सब्र-ओ-रज़ा “सय्यद शाह मोहम्मद यूसुफ़ बल्ख़ी फ़िरदौसी”
हज़रत शाह ज़फ़र सज्जादा दानापुरी की मुकम्मल ज़िंदगी सब्र-ओ-आज़माईश के हचकोले खाती रही। वो एक ख़ुदा
अब्सार बल्ख़ी
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सय्यिद अमीर माह बहराइची
तारीख़-ए-फ़रिश्ता में लेखक ने फ़ीरोज़ शाह के सफ़र-ए-बहराइच के तज़्किरा में अमीर माह का तज़्किरा किया
जुनैद अहमद नूर
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हज़रत शाह फ़रीदुद्दीन अहमद चिश्ती
अपने मुर्शिद के हुक्म से आपने काको में ही हिदायत और रूहानियत का केंद्र स्थापित किया
रय्यान अबुलउलाई
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ख़ानक़ाह मनेर शरीफ़
हज़रत सुल्तानुल मख़्दूम ने मनेर शरीफ़ में सुल्तान बख़्तयार ख़िल्जी की आमद पर यह कहते हुए
शाह तारिक़ फ़िरदौसी
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आदाब-ए-समाअ’ पर एक नज़र - मैकश अकबराबादी
ये मुसल्ल्म है कि गाना और हर अच्छी आवाज़ जज़्बात पर मुवस्सिर है। इस से मुतअस्सिर
मयकश अकबराबादी
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चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
हर गुले कज़ बाग़–ए-उ’म्रश बशगफ़द बे-ख़ार बादजो शख़्स काँटे बिछाने वाले को दुआ’ दे कि उस
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
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ज़िक्र-ए-खैर : हज़रत शाह अय्यूब अब्दाली
बिहार की सर-ज़मीन हमेशा से मर्दुम-ख़ेज़ रही है। न जाने कितने इल्म ओ अदब और फ़क़्र
रय्यान अबुलउलाई
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शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
एक मुहक़्क़िक़ हक़ायक़ को बे-नक़ाब करता है, एक रहबर उस को सरीउ’ल-फ़ह्म बनाता और अवाम तक