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Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
जमाली और मौलाना जामी की मुलाक़ाततज़्किरा-नवीसों ने ‘जामी’ और ‘जमाली’ की इस मुलाक़ात के कई विवरण
सुमन मिश्रा
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शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
अलख़।इस हिकायत से साफ़ ज़ाहिर होता है कि शैख़ अपने बहादुर जंगजू दोस्त को पहली मुलाक़ात
एजाज़ हुसैन ख़ान
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हज़रत शैख़ बुर्हानुद्दीन ग़रीब
सुल्तान मोहम्मद तुग़लक़ को भी हज़रत शैख़ से अ’क़ीदत थी। एक रोज़ दौलताबाद में जामे’ क़ुतुबी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत मख़दूम अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी के जलीलुल-क़द्र ख़ुलफ़ा - सय्यद मौसूफ़ अशरफ़ अशरफ़ी
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हकीम शाह अलीमुद्दीन बल्ख़ी फ़िरदौसी
ये जाम कभी न कभी तो पीना ही था मगर इस तरह शाह साहिब को एक
रय्यान अबुलउलाई
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हज़रत सयय्द अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी का पंडोह शरीफ़ से किछौछा शरीफ़ तक का सफ़र-अ’ली अशरफ़ चापदानवी
यहीं पर सय्यद अ’ली हमदानी से भी मुलाक़ात हुई।उनकी सोहबत में कुछ दिन गुज़ारे। उन्हीं के
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ख़ानक़ाह-ए-फुलवारी शरीफ़ के मरासिम-ए-उ’र्स
दो तिहाई घंटा में ज़ियारत तमाम होकर शीरीनी तक़्सीम होती है और ग़ुस्ल का पानी गुलाब
निज़ाम उल मशायख़
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हज़रत गेसू दराज़ हयात और ता’लीमात
इंतिक़ाल से एक या दो दिन क़ब्ल आपने वसिय्यत फ़रमाई थी कि दफ़्न के वक़्त हज़रत
निसार अहमद फ़ारूक़ी
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बाबा फ़रीद के मुर्शिद और चिश्ती उसूल-ए-ता’लीम-प्रोफ़ेसर प्रीतम सिंह
(2) आप पर इस्तिग़राक़ का इस क़दर ग़लबा था कि आपको अपने फ़र्ज़न्द की सेहत-याबी के
मुनादी
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शैख़ शर्फ़ुद्दीन अहमद यहया मनेरी
बिहार शरीफ़ में क़ियाम : मख़्दूम साहिब बिहिया के जंगल में दाख़िल हुए तो बारह बरस