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सूफ़ी लेख
हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी - प्रोफ़ेसर इफ़्तिख़ार अहमद चिश्ती सुलैमानी
आपने मुस्कुरा कर ये शे’र पढ़ा:
मा बरा-ए-वस्ल कर्दन आमदेम
मुनादी
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
मुस्कुरा के कहते हैं ये मेहनताना हो गया
बार क्यों तुझको हुआ ये आशयाँ ऐ बाग़बाँ
सुमन मिश्रा
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अमीर ख़ुसरो की सूफ़ियाना शाइ’री - डॉक्टर सफ़्दर अ’ली बेग
“ख़ुदाया मैंने तेरी तमन्ना में सब कुछ तज दिया है और मुझे बस अब तेरी ही
फ़रोग़-ए-उर्दू
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हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया-अपने पीर-ओ-मुर्शिद की बारगाह में
जब किसी बुज़ुर्ग से दुआ’ करानी होती तो फ़ातिहा के लिए इल्तिमास किया जाता था |वो
निसार अहमद फ़ारूक़ी
सूफ़ी लेख
जिन नैनन में पी बसे दूजा कौन समाय
हज़रत अमीर ख़ुसरौ का उर्स आज से शुरूअ हो गया है. आज सुबह ही हमारी प्यारी