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सूफ़ी लेख
पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
(2) इतने पर भी कोई कौवा यदि घर पहुँच जाता है, तो प्रियतम (भी उसी षड्यंत्र
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अलाउल की पद्मावती - वासुदेव शरण अग्रवाल
अलाउल ने जायसी के शब्दानुवाद तक अपने को सीमित नहीं रक्खा। एक प्रकार से यह एक
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
अलाउल और उनकी पद्मावती-सत्येन्द्रनाथ घोषाल, शान्तिनिकेतन - Ank-1, 1956
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
अलाउल की पदमावती- वासुदेव शरण अग्रवाल- Ank-1, 1956
पदमावती के रस से सनी हुई इस रसपूर्ण कथा को हिन्दुस्तानी भाषा में शेख़ मलिक मुहम्मद
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
हाफ़िज़ की कविता- शाल़ग्राम श्रीवास्तव
(2) एक बात और ध्यान देने योग्य है। जैसे संस्कृत में शाहूत शाहि का शब्द मिलता
सरस्वती पत्रिका
सूफ़ी लेख
हाफ़िज़ की कविता - शालिग्राम श्रीवास्तव
(2) एक बात और ध्यान देने योग्य है। जैसे संस्कृत में शाहूत शाहि का शब्द मिलता
सरस्वती पत्रिका
सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
खु़सरो की कविता के कुछ नमूनेप्रेम-पंथ के पचड़ों के चमत्कृत वर्णन को फ़ारसी में ‘वाक़िआ गोई’
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
इन के घर खेती का काम होता था परंतु इन के पिता ने प्रयत्न कर के
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
रसखान के वृत्त पर पुनर्विचार
(10) सं. 2010 (सन् 1953) में पं. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने वाणी वितान, ब्रह्मनाल, काशी से
कृष्णचन्द्र वर्मा
सूफ़ी लेख
रसखान के वृत्त पर पुनर्विचार - कृष्णचन्द्र वर्मा
(10) सं. 2010 (सन् 1953) में पं. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने वाणी वितान, ब्रह्मनाल, काशी से
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
उदासी संत रैदास जी- श्रीयुत परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल-एल. बी.
खड खड करि भोजनु कीनो तऊ न बिसरउ पानी।।अर्थात् हे भगवान् यद्यपि मैं मोह-बंधन द्वारा जकड़ा
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
निरंजनी साधु
फारसी किताब दबिस्तानुल मज़ाहिब में हरीदास जी की बेनीदास साँखला की बस्सी का जाट लिखा है
भारतीय साहित्य पत्रिका
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उमर ख़ैयाम श्रीयुत इक़बाल वर्मा, सेहर
उमर ख़ैयाम के जीवन के संबंध में हमारी जानकारी बहुत थोड़ी है। वह अपनी जगत्प्रसिद्ध रूबाइयों
हिंदुस्तानी पत्रिका
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अल्बेरूनी -प्रोफ़ेसर मुहम्मद हबीब
अल्बेरूनी का ज्योतिष संबंधी कार्य, मध्ययुग के मुसल्मानों के, इस विषय के ज्ञान का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण
हिंदुस्तानी पत्रिका
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कर्नाटक के संत बसवेश्वर, श्री मे. राजेश्वरय्या
राजा के पास अपने दूसरे मंत्री सिद्दण्णा की उदारता से दत्तक में ली गयी एक कन्या