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सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ फ़ख़्रुद्दीन इ’राक़ी रहमतुल्लाह अ’लैह
रुबाई’यारब तू ब-ख़ुद मरा तवंगर गरदां
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह अकबर दानापुरी
एक रुबाई भी इस तअ’ल्लुक़ को ज़ाहिर करती है :शागिर्द वहीद के हैं दोनों अकबर
रय्यान अबुलउलाई
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शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
हम दिल-बरी-ओ-नाज़स्त कि ब-सूरत-ए-नियाज़स्तचे नियाज़ शान-ए-ख़ासस्त ज़े शुयून-ए-दिल-रुबाई
मयकश अकबराबादी
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शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
शैख़ अ’त्तार ने कई देशों का भ्रमण किया और अनेक सूफ़ियों से मिले । उन्होंने अपने
सुमन मिश्रा
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह अहमद हुसैन चिश्ती शैख़पूरवी
हज़रत शाह अहमद हुसैन चिश्ती आलिम दीन,फ़ाज़िल ए मतीन और साहिब ए यक़ीन बुज़ुर्ग हैं। उनकी
रय्यान अबुलउलाई
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ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
क़व्वाली अरबी के क़ौल शब्द से बना है जिस का शाब्दिक अर्थ बयान करना है। इसमें
सुमन मिश्रा
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हज़रत मुल्ला बदख़्शी- पंडित जवाहर नाथ साक़ी देहलवी
उसके बा’द जब कभी बादशाह सैर-ए-कश्मीर को जाता तो आपके फ़ैज़-ए-सोहबत की सआ’दत हासिल किया करता