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सूफ़ी लेख
हज़रत सैयद ज़ैनुद्दीन अ’ली चिश्ती
तुर्की लिख हिंदू की गाई
फिर मैं ने इन लफ़्ज़ों की हक़ीक़त पा ली
सय्यद रिज़्वानुल्लाह वाहिदी
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली- बिशम्भर नाथ पाण्डेय
अब हमारे बुनियादी दस्तूर या संविधान ने हुक्म-ए-फ़ैसल दे दिया है। हिंदी को सरकारी ज़बान के
मुनादी
सूफ़ी लेख
दूल्हा और दुल्हन का आरिफ़ाना तसव्वुर
बुल्ले शाह के इस गीत में होरी(होली) घुंघट(घूँघट) जैसे लफ़्ज़ों के साथ “होरी खेलूँगी कह बिस्मिल्लाह”
शमीम तारिक़
सूफ़ी लेख
हज़रत मीराँ जी शम्सुल-उ’श्शाक़
यहाँ उनके कलाम से ज़ियादा मिसालें पेश करने का महल नहीं है लेकिन इन चंद अश्आ’र