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सूफ़ी लेख
ख़ानदान-ए-चिराग़ देहलवी
ख़ानदानी वजाहत-ओ-ज़ाती फ़ज़्ल-ओ-करम की वजह से मक़बूल-ए-’आम-ओ-ख़्वास रहे।कार-ओ-बारः-
सय्यद रिज़्वानुल्लाह वाहिदी
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
इस बर्र-ए-सग़ीर में सिलसिला-ए-अबुल-उ’लाइया का फ़ैज़ान और इस की मक़बूलियत इस तरह हुई कि हर ख़ानक़ाह