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सूफ़ी लेख
सूर की सामाजिक सोच, डॉक्टर रमेश चन्द्र सिंह
(2) सूर ने यह भी माना है कि ज्ञान को कंस का नहीं, कृष्ण का सेवक
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
अल्बेरूनी -प्रोफ़ेसर मुहम्मद हबीब
“इस में दोष राजाओं का है, जाति का नहीं। ऐसा न होता तो कोई ब्राह्मण और
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
जौनपुर की सूफ़ी परंपरा
आप का जन्म सन 1630 ई. में हुआ. आप ने पहले नूर मुहम्मद मदारी से शिक्षा
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
कबीर जीवन-खण्ड- लेखक पं. शिवमंगल पाण्डेय, बी. ए., विशारद
उपसंहार में कबीर के विषय में यह कहा जा सकता है कि उनकी जीवन-व्यवस्था साधारण जनता
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
(3)मीरा रामायण का निष्कर्ण है तन्मयता का आदर्श। मीरा भी स्वान्तःसुखाय है। “जाके प्रिय न राम
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
सूर की लोकमंगल-भावना, डॉक्टर भगवती प्रसाद सिंह
तुलसी और सूर, दोनों की दृष्टि में यह काया योग-प्रधान निवृत्तिपरक साधना जन-साधारण के लिए, विशेष
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
कर्नाटक के संत बसवेश्वर, श्री मे. राजेश्वरय्या
तिस पर अगर मैं मूड़ देव प्रणाम कहकर भीख माँगते जाऊँ तो तुम वहाँ उनसे आगे
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
सन्यासी फ़क़ीर आंदोलन – भारत का पहला स्वाधीनता संग्राम
मुगलों के हाथों से जब सत्ता अंग्रेजों के पास गई, तो किसानों व जमींदारों से वसूले
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
सूर की विशेषताओं के इस संक्षिप्त दिग्दर्शन को समाप्त करने के पहले इतना और कह देने
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कबीर साहब और विभिन्न धार्मिक मत- श्री परशुराम चतुर्वेदी
कबीर साहब ने हिंदू धर्म संबंधी पौराणिक सिद्धांतों के आधारभूत ग्रंथ वेद-चतुष्टय तथा स्मृति आदि की
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
तुलसीदासजी की सुकुमार सूक्तियाँ- राजबहादुर लमगोड़ा
(7) सभी उपर्युक्त श्रेणियों से गुज़र-जाने पर ही यह सिद्ध होगा कि वस्तुतः सीताजी ऐसी ही
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
रामावत संप्रदाय- बाबू श्यामसुंदर दास, काशी
रामानुज नारायण के उपासक थे और उनकी धर्मष्यवस्था में वर्ण-धर्म का स्थान पूर्ववत् ही था। रामानंद
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
सियर-उल-औलिया मे कई पेशेवर क़व्वालों का ज़िक्र आया है । इससे पता चलता है कि क़व्वाल
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
प्रसिद्ध किताब ‘सियर-उल-औलिया’ में कई पेशेवर क़व्वालों का ज़िक्र आया है। इससे पता चलता है कि
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
सियर-उल-औलिया मे कई पेशेवर क़व्वालों का ज़िक्र आया है । इससे पता चलता है कि क़व्वाल