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सूफ़ी लेख
शैख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार और शैख़ सनआँ की कहानी
व दारु ख़ान: पंज सद शख़्स बूदंदकि दर हर रोज़ नब्ज़म मी नुमूदंद .
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
और जिस शख़्स ने ये कहा किबा-ख़ुदा दीवाना बाश-ओ-बा-शरीअ’त हुश्यार
सूफ़ीनामा आर्काइव
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अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
हज़रत अमीर ख़ुसरो अपने शैख़ के उस क़ौल को अक्सर दुहराया करते थे कि मुआ’मलात-ए-ख़ल्क़ तीन
फ़रोग़-ए-उर्दू
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हज़रत शैख़ अबुल हसन अ’ली हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैहि
पहला इ’ल्म गोया ख़ुदा का इ’ल्म है, और दूसरा ख़ुदा की तरफ़ से बंदा को अ’ता
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगान हज़रत ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती अजमेरी - आ’बिद हुसैन निज़ामी
हज़रत ने फ़रमाया कि मैं इस ग़रीब के काम के लिए आया हूँ। फिर क़ुतुब साहिब
सूफ़ीनामा आर्काइव
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समकालीन खाद्य संकट और ख़ानक़ाही रिवायात
जब बादशाह ख़ानक़ाह आता तो उस दिन ज़्यादा खाना पकाने का हुक्म देते और जब दस्तरख़्वान
रहबर मिस्बाही
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बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से) - डॉक्टर मसऊ’द अनवर अ’लवी
मुनादी
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मसनवी की कहानियाँ -4
किसी ग़ैर मुल्क में अहल-ए-हिंद एक हाथी दिखाने लाए और उसे बिलकुल तारीक मकान में बांध