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सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से) - डॉक्टर मसऊ’द अनवर अ’लवी
मुनादी
सूफ़ी लेख
पीर-ए-दस्त-गीर हज़रत अब्दुल क़ादिर की करामतों का बयान
आपकी करामतें-ओ-कमालात इस क़दर हैं कि हीता-ए-बयान में आना दुश्वार है। मगर तबर्रुकन कुछ करामतें बयान
हसरत अजमेरी
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
जब ये ख़त सुल्तान अ’लाउद्दीन ख़िल्जी को मिला तो उमरा ने कहा बादशाह को इस तरह
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगान हज़रत ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती अजमेरी - आ’बिद हुसैन निज़ामी
हज़रत ने फ़रमाया कि मैं इस ग़रीब के काम के लिए आया हूँ। फिर क़ुतुब साहिब
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
क़व्वाली और हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया का मौक़िफ़
‘’ ‘इबादत दो क़िस्म की होती है, एक वो जिसका फ़ाइदा सिर्फ़ ‘इबादत करने वाले को
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
सूफ़ी लेख
कलाम-ए-‘हाफ़िज़’ और फ़ाल - मौलाना मोहम्मद मियाँ क़मर देहलवी
जब फ़ाल निकालने का इरादा हो पहले मा’लूम करें कि दिन या रात के चार पहरों
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का मक़सद-ए-ईजाद अलग अलग
‘इबादत दो क़िस्म की है।एक वो जिसका फ़ाइदा सिर्फ़ इबादत करने वाले को होता है, जैसे
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया-अपने पीर-ओ-मुर्शिद की बारगाह में
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया रहि• ने अपनी मज्लिसों में अक्सर शैख़ मुतवक्किल का हाल बयान किया कि
निसार अहमद फ़ारूक़ी
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तसव़्वुफ का अ’सरी मफ़्हूम - डॉक्टर मस्ऊ’द अनवर अ’लवी काकोरी
तसव्वुफ़ न कोई फ़ल्सफ़ा है न साइंस। ये न कोई मफ़रूज़ा है न हिकायत और न