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सूफ़ी लेख
शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
हमचुनाँ यादगी-ओ-तन ब-हज़र बाज़ आमदसालहा रफ़्त मगर अ’क़्ल-ओ-सुकून आमोज़द
एजाज़ हुसैन ख़ान
सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
एक सूफ़ी का जीवन विशाल वटवृक्ष की तरह होता है जिस की छाँव में सब को
सुमन मिश्रा
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सतगुरू नानक साहिब
नानक आदमी थे और शक्ल-ए-तअ’य्युन में तमाम ज़रूरियात-ए-आदमियत में मशग़ूल नज़र आते थे मगर उनकी आँख
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हज़रत मख़्दूम दरवेश अशरफ़ी चिश्ती बीथवी
मुबारकपुर दरगाह से ही चंद फ़रलाँग शिमाल की जानिब निहायत ही पुर-सुकून और दिल-कश फ़ज़ा में
मुनीर क़मर
सूफ़ी लेख
महफ़िल-ए-समाअ’ और सिलसिला-ए-वारसिया
समाअ’ भी एक अ’रबी लफ़्ज़ है और ये लफ़्ज़ क़व्वाली गाने और सुनने के लिए मुक़र्रर
डॉ. कबीर वारसी
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हज़रत सय्यिद मेहर अ’ली शाह - डॉक्टर सय्यिद नसीम बुख़ारी
हज़रत सय्यिद मेहर अ’ली शाह1859 ई’स्वी में रावलपिंडी से ग्यारह मील के फ़ासिला पर क़िला गोलड़ा
मुनादी
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शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
एक मुहक़्क़िक़ हक़ायक़ को बे-नक़ाब करता है, एक रहबर उस को सरीउ’ल-फ़ह्म बनाता और अवाम तक
मयकश अकबराबादी
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हज़रत शैख़ अबुल हसन अ’ली हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैहि
मगर हज़रत शैख़ हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैह के नज़दीक बंदा का ग़नी होना मुहाल भी नहीं।अल-ग़नीयु मन
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह मोहसिन दानापुरी
बिहार की सर-ज़मीन से न जाने कितने ला’ल-ओ-गुहर पैदा हुए और ज़माने में अपने शानदार कारनामे
रय्यान अबुलउलाई
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हाजी वारिस अ’ली शाह का पैग़ाम-ए-इन्सानियत - डॉक्टर सफ़ी अहमद काकोरवी
उन्नीसवीं सदी का दौर है। अवध की फ़िज़ा ऐ’श-ओ-इ’श्रत से मा’मूर है। फ़ौजी क़ुव्वतें और मुल्की
मुनादी
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पैकर-ए-सब्र-ओ-रज़ा “सय्यद शाह मोहम्मद यूसुफ़ बल्ख़ी फ़िरदौसी”
आपका इंतिक़ाल मे’यादी बुख़ार की वजह से हुआ। यूसुफ़ बल्ख़ी की बेटी बीबी क़मरुन्निसा बल्ख़ी अपने
अब्सार बल्ख़ी
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दाता गंज-बख़्श शैख़ अ'ली हुज्वेरी
नफ़्सानी ग़र्ज़ः आप फ़रमाते हैं:। जिस काम में नफ़्सानी ग़र्ज़ आ जाए उस से बरकत उठ