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सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
2.उर्स-ए-इमदाद अ’ली शाह कलंदर हैदराबादमिसरा-ए-तरह- ‘ज़िक्र-ए-उलवी करती है बुलबुल मेरे गुलज़ार की’
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
बिहार में क़व्वालों का इतिहास
सिद्दीक़ ख़ाँ दिल्ली घराने काे एक रुक्न थे। आपका ख़ानदान अस्ल में ग़ाज़ीपुर के क़रीब के
रय्यान अबुलउलाई
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दक्खिनी हिन्दी के सूरदास-सैयद मीरां हाशमी- डॉ. रहमतउल्लाह
(4) रेख्ती कविताएँ- हाशमी को दक्खिनी कवियों में रेख्ती कविता का जनक बताया जाता है। किन्त
सम्मेलन पत्रिका
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ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती की दरगाह
अकबर ने सहन-ए-दरगाह में हश्त-पहल चराग़-दानों की छतरी भी बनवाई थी जो अब तक मौजूद है।दरगाह
निसार अहमद फ़ारूक़ी
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बीसवीं सदी के चंद मशहूर क़व्वाल
बीसवीं सदी के चंद क़व्वाल चूँकि कुल हिंद शोहरत के मालिक रहे, इसलिए मैं उनमें से
अकमल हैदराबादी
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समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
क़व्वाली पर एक और किताब सुरूद-ए-रूहानी मिलती है जिसके संग्रहकर्ता मिराज अहमद निज़ामी क़व्वाल थे ।
सुमन मिश्र
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ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
“मुझे ठीक मालूम नहीं है कि वाइज़ क़व्वाल की पैदाइश कहाँ की है लेकिन अब वो
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का सफ़रनामा
क़व्वाली पर एक और किताब सुरूद-ए-रूहानी मिलती है जिसके संग्रहकर्ता मिराज अहमद निज़ामी क़व्वाल थे ।
सुमन मिश्र
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पैकर-ए-सब्र-ओ-रज़ा “सय्यद शाह मोहम्मद यूसुफ़ बल्ख़ी फ़िरदौसी”
हज़रत शाह ज़फ़र सज्जादा दानापुरी की मुकम्मल ज़िंदगी सब्र-ओ-आज़माईश के हचकोले खाती रही। वो एक ख़ुदा
अब्सार बल्ख़ी
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बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
सिद्दीक़ ख़ाँ इस्लामपुर के रहने वाले थे। वह सितार ला-जवाब बजाते और बिला मिज़्राब बोल काटते
सुमन मिश्र
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ख़्वाजा ग़ुलाम हुसैन अहमद अल-मा’रूफ़ मिर्ज़ा सरदार बेग हैदराबादी
सोता क्या पड़ा सजन दीवाने उठ बहार आईएक बार आँख खोल दिए। क्या देखते हैं कि
सूफ़ीनामा आर्काइव
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तज़्किरा पद्म श्री अ’ज़ीज़ अहमद ख़ाँ वारसी क़व्वाल
उस्ताद तान रस ख़ान के भांजे मुहम्मद सिद्दीक़ ख़ान के तीन लड़के थे- निसार अहमद ख़ान,