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सूफ़ी लेख
मूजिद-ए-क़व्वाली
मशाहीर अह्ल-ए-क़लम इस बात पर मुत्तफ़िक़ हैं कि क़व्वाली की तर्ज़ अमीर ख़ुसरो की ईजाद है।
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली का ‘अह्द-ए-ईजाद और मक़्सद-ए-ईजाद
क़व्वाली की ईजाद अमीर ख़ुसरो के ‘अह्द-ए-हयात 1253 ता 1325 के ठीक दरमियान का ‘अह्द है,
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली का अहद-ए-ईजाद और समाजी पस-ए-मंज़र
मूजिद-ए-क़व्वाली हज़रत अमीर ख़ुसरो का ‘अह्द इब्तिदा-ए-इस्लाम और मौजूदा ‘अह्द के ठीक दरमियान का ‘अह्द है
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
समाअ और क़व्वाली का मक़सद-ए-ईजाद अलग अलग
अह्ल-ए-समा’अ के इर्शाद के मुताबिक़ शरी’अत तरीक़त से जुदा है और न तरीक़त शरी’अत से जुदा।
अकमल हैदराबादी
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मयार समाअ बतदरीज क़व्वाली के अहद-ए-ईजाद तक
समा’अ दूसरी सदी हिज्री की ईजाद है। हज़रत जुनैद बग़्दादी ने उसे तीसरी सदी हिज्री में
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली में आदाब-ए-समाअ से इन्हिराफ़ का सबब
अमीर ख़ुसरौ ने अपनी ईजाद कर्दा क़व्वाली हैं जो आदाब-ए-समा’अ को ख़ास अहमियत न दी तो
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली
क़व्वाली एक फ़न है या’नी एक सिंफ़-ए- मौसीक़ी जिसमें चंद ख़ुश-गुलू मुश्तरका तौर पर बा-ज़ाबता राग
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली के मूजिद
सारी दुनिया इस बात पर मुत्तफ़िक़ है कि क़व्वाली हज़रत अमीर ख़ुसरो की ईजाद है,’अह्द-ए-ख़ुसरो से
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली और समा
जब हम क़व्वाली पर ब-हैसियत-ए-फ़न बह्स करते हैं और इसकी ईजाद-ओ-इर्तिक़ा में फ़न्नी उरूज की बात
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली की ईजाद-ओ-इर्तिक़ा
किसी फ़न की ईजाद-ओ-इर्तिक़ा के बारे में क़लम उठाना उस वक़्त आसान होता है जबकि हम
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली और सहाफ़त
सहाफ़त में मज़हबिय्यात के लिए बहुत कम गुंजाइश है और बद-नसीबी से क़व्वाली ‘उमूमन मज़हबी कालम