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सूफ़ी लेख
भ्रमरगीत में सूर की रस-साधना का मूल रहस्य, डॉक्टर गोवर्धन नाथ शुक्ल
सूरसागर का मूल स्रोत महर्षि व्यास की समाधि-भाषा श्रीमद्भागवत ग्रंथ रहा है। काव्यवस्तु के लिए सूर
सूरदास : विविध संदर्भों में
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राष्ट्रीय जीवन में सूरदास, श्री शान्ता कुमार
भारतीय लोक-संस्कृति और परम्परा को एक ऊँची पीठिका पर आसीन करने में संतप्रवर सूरदास और उसके
सूरदास : विविध संदर्भों में
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सूर की लोकमंगल-भावना, डॉक्टर भगवती प्रसाद सिंह
सूरदास कृष्ण की लोकरंजक लीलाओं के चिन्तन तथा गान में निरन्तर मग्न रहने वाले भावसिद्ध भक्त
सूरदास : विविध संदर्भों में
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भ्रमर-गीतः गाँव बनाम नगर, डॉक्टर युगेश्वर
नागर सिंधु सभ्यता के बावजूद भारतीय नगरी नहीं ग्रामीण है। पूरा भारतीय साहित्य गाँव उन्मुख हैं।
सूरदास : विविध संदर्भों में
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सूर की सामाजिक सोच, डॉक्टर रमेश चन्द्र सिंह
सूर की सामाजिक सोच क्या थी? क्या वह सोच आज के भारतीय समाज के लिए भी
सूरदास : विविध संदर्भों में
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सूर की कविता का आकर्षण, डॉक्टर प्रभाकर माचवे
सूरदास के समय में और आज के समय में पाँच सौ वर्षों का व्यवधान है। उनकी
सूरदास : विविध संदर्भों में
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प्रणति, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
सूरदास महाप्रभु वल्लभाचार्य जी के शिष्य थे। ऐसा कहा जाता है कि पहले वे दैन्यसूचक और
सूरदास : विविध संदर्भों में
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क़व्वाली का ‘अह्द-ए-ईजाद और मक़्सद-ए-ईजाद
क़व्वाली की ईजाद अमीर ख़ुसरो के ‘अह्द-ए-हयात 1253 ता 1325 के ठीक दरमियान का ‘अह्द है,
अकमल हैदराबादी
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क़व्वाली का अहद-ए-ईजाद और समाजी पस-ए-मंज़र
मूजिद-ए-क़व्वाली हज़रत अमीर ख़ुसरो का ‘अह्द इब्तिदा-ए-इस्लाम और मौजूदा ‘अह्द के ठीक दरमियान का ‘अह्द है
अकमल हैदराबादी
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मूजिद-ए-क़व्वाली
मशाहीर अह्ल-ए-क़लम इस बात पर मुत्तफ़िक़ हैं कि क़व्वाली की तर्ज़ अमीर ख़ुसरो की ईजाद है।