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सूफ़ी लेख
क़व्वाली में उर्दू हिन्दी की इब्तिदा
फ़ार्सी-दाँ हल्क़ों में क़व्वाली की मक़्बूलियत के बाद मूजिद-ए-क़व्वाली हज़रत अमीर ख़ुसरौ को एक ऐसा अहम
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली में ख़वातीन की इब्तिदा
क़व्वाली में ख़वातीन की इब्तिदा बीसवीं सदी की छठी दहाई में हुई, जब कि 1956 में
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली में अदा-आमोज़ी की इब्तिदा
क़व्वाली में तशरीह के इज़ाफे़ के बा’द शकीला बानो ने इस फ़न को मज़ीद दिल-कश बनाने
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली के इब्तिदाई साज़, राग ताल और ठेके
क़व्वाली के इब्तिदाई साज़ों की तफ़्सील किसी एक मज़मून या किताब से दस्तयाब नहीं होती, अलबत्ता
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
टेलीविज़न पर क़व्वाली की इब्तिदा
हिन्दोस्तान में टीवी बीसवीं सदी के छठी दहाई में आया। यहाँ सबसे पहले इसकी इब्तिदा दिल्ली
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
फ़ारसी गिरह-बंदी की इब्तिदा, फ़ारसी का मंज़ूम कलाम
‘’अल्लाह हू" की तकरार और हज़रत ‘अली की तारीफ़ ही के दौर में क़व्वाली में फ़ारसी
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली में तसव्वुफ़ की इबतिदा और ग़ैर मुस्लिमों की दिलचस्पी और नाअत की इबतिदा
तसव्वुफ़ एक ऐसा मौज़ू’ है जिसमें सारी ख़ल्क़ को ख़ालिक़ की जानिब रुजू’ होने का पैग़ाम
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
ख़वातीन की क़व्वाली से दिलचस्पी और क़व्वाली में आशिक़ाना मज़ामीन की इबतिदा
हज़रत ग़ौस-ए-पाक की नियाज़ के साथ क़व्वाली की घरेलू महफ़िलों ने मुस्लिम ख़्वातीन में बे-हद मक़्बूलियत
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
आज जिस मौज़ूअ’ पर दा’वत-ए-फ़िक्र दी गई है वो “अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती का मौज़ूअ’ है
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो बुज़ुर्ग और दरवेश की हैसियत से - मौलाना अ’ब्दुल माजिद दरियाबादी
ख़ालिक़-बारी का नाम भी आज के लड़कों ने न सुना होगा। कल के बूढ़ों के दिल
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
जब हम हिन्दुस्तान की तहज़ीब का मुतालिआ’ करते हैं तो देखते हैं कि तरह तरह के
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
क़व्वाली में तशरीह का इज़ाफ़ा
क़व्वाली के बेशतर सामिईन उर्दू के मुश्किल अल्फ़ाज़ को समझने में दुशवारी महसूस करते हैं, जिससे