फ़ारसी गिरह-बंदी की इब्तिदा, फ़ारसी का मंज़ूम कलाम
रोचक तथ्य
کتاب ’’قوالی امیر خسرو سے شکیلا بانو تک‘‘ سے ماخوذ۔
‘’अल्लाह हू की तकरार और हज़रत ‘अली की तारीफ़ ही के दौर में क़व्वाली में फ़ारसी गिरह-बंदी का सिलसिला शुरू’ हो गया था। गिरह से मुराद ऐसे अश’आर या मिस्रा पहुँचाना है जो ज़ेर-ए-तकरार मिस्रे या लफ़्ज़ के मा’नी-ओ-मफ़्हूम की वज़ाहत के साथ साथ उसके पैदा-कर्दा असर को ज़ाहिर कता हो।
‘अरबी के नस्री अक़्वाल इतने सह्ल-ओ-‘आम-फहम थे कि हिन्दोस्तान के मुसलमान उनको ब-आसानी समझ लेते, चुनांचे क़व्वाली की बढ़ती हुई मक़्बूलियत के पेश-ए-नज़र उसको ‘अरबी से फ़ारसी में मुंतक़िल कर दिया गया और मौसीक़ी से मुकम्मल तौर पर इस्तिफ़ादा करने की ग़रज़ से नस्र के बजाय फ़ारसी नज़्म का इंतिख़ाब किया जाने लगा।
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