परिणाम "ख़ल्वत"
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शौक़ ख़ल्वत में भी है अंजुमन-आराई काआईना-ख़ाना है गोशा मिरी तन्हाई का
ख़ल्वत में आ के देख ख़ुदा है हमारे पासहक़ को न ढूँढ तू वो छुपा है हमारे पास
जल्वत में मज़े हूँ ख़ल्वत के ख़ल्वत में तमाशे जल्वत केखुल जाए जो बाब-ए-इल-लल्लाह उठ जाए हिजाब-ए-इल-लल्लाह
ख़ल्वत-कदे में बाद-ए-बहारीचित्त भी हमार पट भी हमारी
बनाया दिल को गर ख़ल्वत-गह-ए-नाज़तो आँखों को जल्वा-ख़ाना बनाया
ख़ल्वत-ए-दिल में जिगर में आज-कलकरवटें लेता है वो मस्त-ए-शबाब
यार से हो गई जो शब-ए-ख़ल्वतसिर्र-ए-मख़्फ़ी छुपा नहीं मुझ से
तू है ख़ल्वत में तू है जल्वत मेंकहीं पिन्हाँ कहीं अ'याँ तू है
न अपना भी जिस में गुज़र हो इलाहीअब ऐसी मैं ख़ल्वत-सरा चाहता हूँ
न हो आ'लम-ए-दिल जो बज़्म-ए-नज़रनिहाँ-ख़ाना-ए-दिल में ख़ल्वत है फ़र्ज़
हर तमन्ना दिल से रुख़्सत हो गईअब तो आ जा अब तो ख़ल्वत हो गई
मक़ाम हो तिरा ख़ल्वत-पसंद वो तू हैमकान-ए-बर-सर-ए-अफ़्लाक-ए-ला-मकाँ तेरा
मेरी आँखों से जो ढूँढें तुझे हर सू देखेंसिर्फ़ ख़ल्वत में जो करते हैं नज़ारा तेरा
बे-तअ'ल्लुक़ क्या हमें उस के तसव्वुर ने कियाजब झुकाया सर-गरेबाँ अपना ख़ल्वत-ख़ाना था
ख़ल्वत की घड़ी गुज़री जल्वत की घड़ी आईछुटने को है बिजली से आग़ोश-ए-सहाब आख़िर
देखा 'असद' को ख़ल्वत-ओ-जल्वत में बार-हादीवाना गर नहीं है तो हुश्यार भी नहीं
नासूत जो मस्कन है तो लाहूत घर अपनाख़ल्वत में हमीं बर-सर-ए-बाज़ार हमीं हैं
पीना बग़ैर यार के तरीक़त में है हरामख़ल्वत-कदा में यार को अपने बिठा के पी
शक्ल-ए-अहमद हूँ वो है क़ब्र में ख़ल्वत 'मरदाँ'बहर-ए-पुर्सिश न नकीरों को भी आना होगा
हैं जम्अ' में हम और फिर हैं जम्अ' से ख़ाली हमजल्वत उसे कहते हैं ख़ल्वत उसे कहते हैं
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